भारतीय संस्कृति का इतिहास | Bhartiya Sanskriti Ka Itihas
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6.82 MB
कुल पष्ठ :
386
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
प्रो. एन. के. त्यागी - Prof. N. K.Tyagi
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प्रो. जी. एन. मेहरा - Prof. G. N. Mehra
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मे वोय संस्कृति का विकास थाय्य॑ सम्प खोग ये। ये श्रामों में निदास करते थे। चौर इनका प्रधान गे वेशा कृषि था | ये पशु भी पाते थे और इनका सामाजिक दांचा भी सुन्दर था । पर रनटीय सम्यता में पायों को सम्यठा मघान है दर कक लि लि च्प ते में दि की द् मंगोल -यदद ज्ञाति हिव्बत के पड़ारों सथा चौन के भागों में निवास करती द्र्पो थो। इन लोगों का कद छोटा नाक चपटी मुख चपटा गालों की हड्डियां उमरी हक हुई दोती हैं। थे वे दो छोग हैं जो धथिकतर तिब्बत चीन इयाम ादि देशों में कस हुये हैं। जब इनके देशों में जनसंख्या थधिक हुई और पध्वो का श्रभाव हुधा गले थे नई भूमि को तलाश में भारत को चोर बढ़े । परन्तु तिब्बत के पटारों में पहुंच कर जब इन्हें थी दिमाखय पंत की अश्काश को चूसने वाली दोटियां इखाई पढ़ती वो इनका साहस टूट गया । परन्तु भूमि को भूख ने इनको बैठने न पर दिया थौर ये धड़ापुत्र की घाटी को थोर थढ़े तथा भारत के उत्तर-पू्े की धोर से दो इन्होंने भारत में प्रवेश छिपा धर रंगाल तथा शासाम में बस गये। धान भी प्रह्मा कग ग्रासाम भूटान तथा नैपाल में थे लोग निवास करते दें। गोर्खा शरीर सूटानी मेंगोल इंजाति से सम्पन्धित हैं । न ण् कल ईरानी--पैलिदासिक युरा में श्वनेकों जातियों भारत में दे ्रोर बस गई । । ईरोनियों ने भी भारत में भ्रवेश किया अँर इस देश को श्पना निवास स्थान शिनाया | ये लोग द्ार्यों से ही सम्बन्ध रखते थे। प्राचीन काल में जब मध्य रिसिगा में जाहियों की उयल पुषल मची थी श्रीर आयें अन्य देशों की ओर चढ़े तो उनकी एक शाखा ईरान में भी बस गई थी । ार्थों शौर इन लोगों के श्राचार आए जिचार तथा देवताओं के नामों में झाज भी बहुत समता है। परन्तु इन दोनों न कारातियों ने पथरू पुथक संस्कृतियों बा निर्माण दिया दै | यूनानी --ईसा से ३२६ वर्ष पूर्व सिकन्द्र मददान ने जो यूनान का मिवासी था भौर जिसकी शिनती संसार के मद्दान विजेतायों में ढी जाती हैं छपनी सेना के से साप भारत में भरदेश दिया | पंजाव में उसको स्वतस्त्र राज्य मिले परम्तु इनके ऊपर पर्भर घिजप माप्त करे में उसे घनी कठिनाई न पढ़ी । हां पुरु नामक राजा से उसे धोर 1 युद्ध करना पढ़ा सिदन्द्र ने समस्त पंजाब को जीत लिया | जब उसे दापस में १ लोटना पढ़ा सो दसने शपना एड सेनापति सेस्टुकस अफमानिस्तान श्वौर पंजाब में ।रि 1 कोइ दिया। सिड्स्दर की शप्यु के पश्चात बह इन देशों का रवतन्त्र शासक हो री आगे चलऊर न्द्रगुप्त मौर्य ने इन खोगों को सारत से मगा दिया । इस हरि मकर यूनानियों तथा. भारतियों का सम्प३ थथिक न रद भर यूनानी सम्यता ने तंगी भारतीप सम्पवा को दिशेष रूप से प्रभाविठ से झिया 1 दि भी अनेकों यूनानियों गे ने मारत को झपन घर दल दिया और दे पदीं के छोतों में घुल सिख गये ।
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