श्रेष्ठ विदेशी उपन्यास | Shrestha Videshi Upanyas

Shrestha Videshi Upanyas by इलाचन्द्र जोशी - Elachandra Joshi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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में जां वालजां ने प्रजातन्त्रवादी जनता का साथ दिया अर युद्ध में भाग लिया । इसी सिलसिले में उसने अपने चिरशत्र ज़ालिम पुलिस अफ़सर जावर के प्राणों की रक्षा की । इस घटना से जावर का मनोभाव उसके प्रति बदल गया और वह जां वालजां को श्रद्धा की दृष्टि से देखने लगा | सब प्रकार के भीषण खतरों से कोज़ेत को सुरक्षित रखने में सफल होने पर भी एक खतरे से वह उसकी रक्षा करने में स्वभावतः निपट असमथ रहा। वह खतरा था मानव-हृद्य की सहज मनोवृत्ति--प्रेस । वह जानता था कि किसी भी सुन्दरी सड्टद्य तरुणी की आत्सा प्रेम की काव्य-कलनामयी आकांच्ता से खाली नहीं रद सकती पर साथ ही यह बात भी निश्चित थी कि उस प्रेम की सार्थकता के रिया मसूसूण कोज़ेत को उससे सदा के लिये अत्तग होना पड़ेगा | मारियस नाम का एक युवक एक बेरन का लड़का था । उसका पिता मर चुका था पर उसका दादा जीवित था। बुड्ढा अपने एकमात्र पोते को बहुत चाहता था पर चूंकि वह राजवबादी था ब्यौर मारियस प्रजातन्त्रबादी. इसलिये दादा और पोते में अनबन हो गई थी । मारियस ने एक दिन कोज़ेत को एक पाक में देखा था । तबसे प्रतिदिन उसी पाक में दोनों एक-देसरे से सिलने ल थे और दोनों में झापस में घनिछ प्रेम हो गया था। क्रान्ति के युद्ध में मारियस घायल शोकर बेहोश हो गया था । जां वालजां उसे चुपचाप अपने कन्ये में रखकर विपक्षियों की दृष्टि से उसे बचाने के उद्देश्य से ज़मीन के भीतर एक बहुत गहरे और सीलों लम्बे नाले के भूलभुलैया चक्कर से होकर उसे ले गया श्र अन्त में उसके बूढ़े दादा के पास उसे पहुँचा दिया सेवा-झुश्रघा करने से जब वह चंगा हो गया तो बुद्ढा सब वैसनस्य भूलकर अपने पोते के प्रति अत्यन्त सद्य हो उठा । कोज़ेत के समान एक अत्यन्त




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