गद्य - चयनिका | Gadh -chayenika

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Gadh -chayenika by डॉ. कैलाशनाथ भटनागर - Dr. Kailashnath Bhatanagar

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about डॉ. कैलाशनाथ भटनागर - Dr. Kailashnath Bhatanagar

Add Infomation About. Dr. Kailashnath Bhatanagar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
नल-दसयन्ती [ राजा शिवप्रसाद ] विदभ नगर के राजा भीमसेन की कन्या भुवन-मोषिनी दमयन्ती का रूप मौर गुण सारे भारतवषे मै भख्यात हो गया था। ' निषध देश के राजा वीरसेन के पुत्र मद्ाभुणवान अतिखुशाल धार्मिक 'नल” स स्वयंवर से उसने जयमाल देकर विवाद्द किया। बारह बरस तक दोनों के खुख-चेल से दिन कटे ओर इस अन्तर में उनके एक ऊड़की ओर एक छड़का भी हो गया। यद्यपि मनुजी ने धर्मशासत्र में पासा खेलना मना लिखा है, पर नल को इसका शोक था। वह अपने छोटे साई पुष्कर के साथ खेला करता था। यहाँ ठक कि दाव लगाते-लगांत खारा राज्य द्वार गया ओर सिवाय एक घोती के ऑर कुछ भी पास न रह।। नल दमयन्ती को साथ लेकर दाहर निकला । लड़का-लड़की को दमयन्ती ने एहले ही से अपने बाप के घर भेज दिया था। पुष्कर ने सारे राज्य में डोंडी फिरदा दी कि नरू को जो अपने घर मे घुसने देगा बह जान জ ছাখ আববা। राजा नर को तन दिन-रात निराहार बीत गये, चोथे दिन नदी के किनारे जाकर चिल्लू से पानी ओर जङ्गल मं जाके फल- पूरु कन्द्-मूल सरे रानी समेत गुजारा करने खगा । नर ने द्मयन्तीक्षो बहुत समद्याया कि तुम-सी कोमर आर सुकुमार स्त्रियों का ऐसी विपत म॑ कदापि साथ रहना नहीं हो सकता। खव उचित यष्टी है कि तुम अपने पिता के घर चली जाओ, जो एरवर अनुकूल होगा तो फिर भी मिल रहेंगे। दमयन्ती यह वात शुन के रोने लगी ओर बोली कि हे मद्दाराज | हे स्वामी ! हे प्रिय- रम | ऐला कठोर वचन आपके सुख-पड़ज से फ्योंकर निकला ? कया आप दिना, पिता के. घर में, यहां से अधिक खुखी रहूँगी? क्या राना योर पहरना आपके दशन से अधिक खुखदाई है? जा आप मुझे त्याग भी करं तो में आपको कदापि त्याग नहीं फर सबती | जो आप फिर कभी ऐसा वचन मुख से निकालूंगे तो में




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now