मौत की जिन्दगी | Maut Ki Jindagi
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.32 MB
कुल पष्ठ :
89
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about प्रफुल्लचंद्र ओझा - Prafulchandra Ojha
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मौत की जिन्दगी छू
है कि इसी दरस्यान कोई आदमी उस कमरे के अन्दर भी आया
था, क्योंकि लड़की ने अपने ओटों पर उँगली रखकर उसे चुप
रहने का इशारा किया था. और बह शायद चुपचाप उल्टे पॉवों
छौट गया था |
दोपडर जब बीतने को आया तो छोटा बच्चा जाग पढ़ा
आर फिर दोनों अगल-बगल बैठकर उसी उदासी और करणा-
भरी आंखों से बाहर की ओर देखने छगे । गगन यह दृदय
देखते-देखते ऊब गया था । उसने मुझसे तो अब
देखा नहीं लाता । मैं और यहाँ ठद्डर्रूँगा तो खुद भी दुखी हो
जाउँगा । 'चढो, हम छोग बगीचे में चढकर ऑख-मिचौनी खेलें ।””
नीलम राजी हो गई । दोनों भाई-बहन नीचे इतर गए और
थोड़ी देर बाद दूर से सुन पढ़ने उनकी हँसी से गवाही दी
कि कस से कम कुछ देर के छिए तो वे खिड़की के उन उदास
बच्चों की याद जरूर भूख गए ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...