विश्व मित्र | Vishwa Mitra
श्रेणी : विश्व / World, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
256.66 MB
कुल पष्ठ :
261
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)युद्धायरा सोदी बज
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क्यू-ख-ऊ-जाखर, आप. कहां. पद
हैं ??'
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'प्साप कहां पेदा हुए हैं १”
“अच्छा, ला-उ-ट-र बाखपें ? क्या आप समझते हैं कि
'छाउटरबाख केघल एक ही है ? क्या आप ठीक-ठीक न बतायेंगे
कि किस छाउटरबाखमे ? जरा ढीक-ढीक बतायें ।
इतनेमें चारों ओर जमा होनेवाले छोगोंकी संख्या बढ़ती
गधी
......आगेकी पंक्तिमें खड़ा हुआ एक आदमी बड़ी चतुरा्से
नुकसानका अन्दाजा छगानिकी कोशिश करने छगा ।
उसने झुककर गाड़ीका निचला साग देखा भोर फिर आगे
बढ़कर गाड़ीकों अच्छी तरह अपनी छड़ीसे ती
पह़ियोंकों टोककर देखने लगा । हि
और भन्तमें अच्छी तरह सोच-विचार कर उसने कहा--
“केवल एक ही पहिया टडा है और यदि दीक हो जाय तो
गाड़ी एक्स चल सकती हैं ।*'
को सुंदम गीला करने छगा |
यह कइकर बह गाड़ीवानकी ओर सुड़ा और
चारों ओर खड़े हुए छोगोंने उसकी बातका समथेन
किया । एक. सजदूरने कहा--“क्या गाड़ीकों एक तरफ
घकेछा नहीं जा सकता ?” और अपने हाथों में थककर गाड़ी के
पिछले पहियेकी जगह जाकर खड़ा हो गया ।
इसके बाद बह बोछा--''अह, पीछे ! पीछे !! और फिर
अपने हाथों में थककर गाड़ी को हिछाता रहा जब तक कि उसको दे
पुलिसने भाकर, हटा नहीं दिया । पुलिप्की संख्या बढ़वी
गयी ओर उसका काम यह था कि जमा हुए-हुए छोग पंक्तिएं न
खड़े रहें । पर यह काम सर न था ।
उऊपरकी तरफ होती तो नीचेकी तरफ नये
आते । इसछिए पुलछिसको इघर-से-उधर दोड़ते हु
पड़ा । * 2 मा
सके सिवा उन्हें इस बातका भी ध्यान. रखना ढोसा
था कि प्रत्येक नया आनेवाला . उुलिसका आदमी सारी बात
जान जाय ओर नयी आनेवाली ट्राम अन्य खड़ी हुई ट्रास्ें:
कारण आगे न बढ़े ।
सुझे मालूम नहीं कि आगे क्या हुआ क्योंकि सुझे शामका
भोजन करने जाना था । पार्तु अगले दिन. अखबार
सन्तोपपू्वक पढ़ा कि पुलिस खपरिण्टेण्डेणट, आप
मेयर भी वहां पहुंचे हुए थे । कर
हे
नर एप
जयंत पिन पकवान
# प्रसिद्ध ढेखक छुइविंग टोमाकी एक जर्मन कानों
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