जीवन के तत्त्व और काव्य के सिद्धांत | Jeevan Ke Tattv Or Kavya Siddhant
श्रेणी : उपन्यास / Upnyas-Novel
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
23 MB
कुल पष्ठ :
354
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)| १४ |
पाँचवाँ अध्याय
काव्य का अर्थबोध
[ अर्थ-बोध और चेतना, ७७--अर्थ-बोध ओौर ज्ञान-रक्ति, ७८--
अन्तशेक्ति और अभिव्यक्ति, 3८--अर्थ-बोध और तक, ७९---बुद्धिवाद और
वेचित्य, ८५--अर्थ-बोध ओर हेतवामास, ८२--बाणी पर॒ मनोविकार का
भ्रमाव गौर अथं-बोध, ८३--राग से पद् की शक्तितरद्धि, ८४-- असीम तथा
ससीम सत्य और जर्थ-बोध, ८७ ]
छठा अध्याय
काव्य की प्रेरणा-शक्ति
[ जीवन और उसका रहस्य, ८८--जीवन का ध्येय--आत्म-
विस्तारः ८९--विषयानन्द् ओौर ब्रह्मानन्द, ९०--भोग-लाकूसा और उसके
स्थूल तथा सूह्म रूप, ९५२--छ्वार्य, पराथे और परमार्थ, ९१३--स्वार्थ--जीवन
का प्रेरक और समाजशासत्र, ९४--सेन्द्रिय जीव की आवश्यकताएँ--प्रसव तथा
पोषण, ९५--अनेकता में एकता--काव्यदृष्टि, ९६---प्रत्येक भाव के दो पक्ष
९७--जीवन की व्यापकता और बाह्य प्रभाव से अपनी रक्षा, ९८--साधा-
रण जीवन और नियम-विधान, ९९--आत्म-विस्तार का प्रयत्न, १००--
अन्तःकरण ओौर उसके काये, १०१--अन्तःकरण और चित्त, १० २--मूछ
भकृति भौर इन्द्र्यो, १०३-- व्यक्तिगत जीवन ओर पच्छन्न भाव, १०५. _
कल्पनात्मक तथा क्रियात्क भाव, १०६--भावाधिक्य मँ वाणी ओर क्रिया
का योग, १०६--भाषों की प्रतिक्रिया भौर उसका परिणाम, १० ८-- प्रत्यक्ष
जीवन ओर कान्य मँ भावों की परिणति, १०९--स्वपीडन भौर परपीड़न,
11०--जीवन में काम्-प्रेरणा की प्रधानता, ११३--काम-वासना और
उसका अ्रयत्न विस्तार, ११४--कामसय जीवन, ११६---यौन-सम्बन्ध और
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