जीवन के तत्त्व और काव्य के सिद्धांत | Jeevan Ke Tattv Or Kavya Siddhant

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Jeevan Ke Tattv Or Kavya Siddhant by

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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| १४ | पाँचवाँ अध्याय काव्य का अर्थबोध [ अर्थ-बोध और चेतना, ७७--अर्थ-बोध ओौर ज्ञान-रक्ति, ७८-- अन्तशेक्ति और अभिव्यक्ति, 3८--अर्थ-बोध और तक, ७९---बुद्धिवाद और वेचित्य, ८५--अर्थ-बोध ओर हेतवामास, ८२--बाणी पर॒ मनोविकार का भ्रमाव गौर अथं-बोध, ८३--राग से पद्‌ की शक्तितरद्धि, ८४-- असीम तथा ससीम सत्य और जर्थ-बोध, ८७ ] छठा अध्याय काव्य की प्रेरणा-शक्ति [ जीवन और उसका रहस्य, ८८--जीवन का ध्येय--आत्म- विस्तारः ८९--विषयानन्द्‌ ओौर ब्रह्मानन्द, ९०--भोग-लाकूसा और उसके स्थूल तथा सूह्म रूप, ९५२--छ्वार्य, पराथे और परमार्थ, ९१३--स्वार्थ--जीवन का प्रेरक और समाजशासत्र, ९४--सेन्द्रिय जीव की आवश्यकताएँ--प्रसव तथा पोषण, ९५--अनेकता में एकता--काव्यदृष्टि, ९६---प्रत्येक भाव के दो पक्ष ९७--जीवन की व्यापकता और बाह्य प्रभाव से अपनी रक्षा, ९८--साधा- रण जीवन और नियम-विधान, ९९--आत्म-विस्तार का प्रयत्न, १००-- अन्तःकरण ओौर उसके काये, १०१--अन्तःकरण और चित्त, १० २--मूछ भकृति भौर इन्द्र्यो, १०३-- व्यक्तिगत जीवन ओर पच्छन्न भाव, १०५. _ कल्पनात्मक तथा क्रियात्क भाव, १०६--भावाधिक्य मँ वाणी ओर क्रिया का योग, १०६--भाषों की प्रतिक्रिया भौर उसका परिणाम, १० ८-- प्रत्यक्ष जीवन ओर कान्य मँ भावों की परिणति, १०९--स्वपीडन भौर परपीड़न, 11०--जीवन में काम्-प्रेरणा की प्रधानता, ११३--काम-वासना और उसका अ्रयत्न विस्तार, ११४--कामसय जीवन, ११६---यौन-सम्बन्ध और




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