यति प्रतिक्रमण | Yati Pratikraman

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Yati Pratikraman by पन्नालाल सोनी -Pannalal Soni

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मूल और भाषा ११ (2 प गलप शकरायूद गा, सगशन्म, सम्मूब्छिंग, चदड्धोदिन औपगाल्दि भर भां चीरासा साख আয মগ इयादि आमस्यातमंस्यास सस्याप्राशएं प्रचन्‍द्रिय जाए हैं हरम শ্তাঘা। ঘটিপ।যা। হ্িযাঘা और ছার তা বিয়া को, छराया मी थीर करा बा वी লীলা ধা চাকা मेंगा दुष्पूत पिश्या हो ॥ ७! 5 प्रतिकमण पीठिकादडक इंच्छामि भाते | (देववियम्मि) राईगम्मिप्रापो- से, पयमहब्धदागि तप पदम मदध्यद पराणाति- মাধাহী वेरमग्ग, बिश्यि मएब्यद मुयावादादों बेर्मरण, तिदिय मटव्वः प्रदागाध-गादों वेश्मण, च३ थे महत्यद मेहुणादों येश्मण, परम महव्यशा परिण्हादा घरमर्ण, হয प्रगस्यद राईधायणादों 4र्मण, ईर्यियनिदीए মাশানমিহাত एमगासित्रिरो श्राद्राणनिफव- गत्तमिदीण, उन्चारपस्गयशणसेलसिहाण धिय- द्धिपद्रदूटाव्रणियासमिदीण, मग्गुत्तीण्यिगृत्तए्‌, বায়নুলা णाणसु दराणेसु चरित्तमु, बावोसाएं परीसद्मु, पवी यण मावणामु परणीयाए्‌ पिरि | अ-सुर-णर नयार॒य-तीरिया बण्णु-रंस-पफास-गधन्सदण | खलघर-यलचर-सघचरा यत्रिया परिदिया ज्ीवा ॥ १९७॥ +-पंघयिपाहुंड |




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