जादूगरी या छल | Jaadugari Ya Chal

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Jaadugari Ya Chal by श्रीराम शर्मा आचार्य - Shreeram Sharma Acharya

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

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जन्म:-

20 सितंबर 1911, आँवल खेड़ा , आगरा, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत (वर्तमान उत्तर प्रदेश, भारत)

मृत्यु :-

2 जून 1990 (आयु 78 वर्ष) , हरिद्वार, भारत

अन्य नाम :-

श्री राम मत, गुरुदेव, वेदमूर्ति, आचार्य, युग ऋषि, तपोनिष्ठ, गुरुजी

आचार्य श्रीराम शर्मा जी को अखिल विश्व गायत्री परिवार (AWGP) के संस्थापक और संरक्षक के रूप में जाना जाता है |

गृहनगर :- आंवल खेड़ा , आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत

पत्नी :- भगवती देवी शर्मा

श्रीराम शर्मा (20 सितंबर 1911– 2 जून 1990) एक समाज सुधारक, एक दार्शनिक, और "ऑल वर्ल्ड गायत्री परिवार" के संस्थापक थे, जिसका मुख्यालय शांतिकुंज, हरिद्वार, भारत में है। उन्हें गायत्री प

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १७ ) से कहिप फ्रि रुपये को जोर से पकठ़े रहे कहाँ उेड न जा] भोड़ी देर इधर उचर की बात करके रुदाल को उसके दाथं से लीजिए रुपया कही भी न मिलेगा । कार्ण यह है कि रुणल के चांगे किनारे पएकन्‍पक रच चोडे दुरे सिलचप्ये जाते ट उसके पक कोने पर किसी घातु फा घना छुआ रुपये जैसा गोल टुकड़ा सिशवए देते हैं ज्ञस समध किसी आदमी की रुपया समेत रुसाल पकपुने फे लिए दिया जाता है उस समय सफाई के साथ रुपये को तो निकाल लेने है और कोने में सिले हुए. मोल टुकड़े फो' उसके हाथ में पकड़वा देते है, पीटे जब रुमाल शपिस लिये जाता है तो उसमें फुछ नहीं निकलता । কিউ পথ হক্ব घाज्ञे कोने को पकडष्ठ कर ज्ञादगर इसं रुर्माल फो भत्ती प्रकार हिला-इला देता है, ज्ञिससे सनन्‍्वेद्र का नियाररण हों ज्ञात दै ( १३ ) पक पीतल्ल या कांच का गिलास रुमॉले से हँक कर किसी झादमी के दाथ में पकड़या दीजिये । भोरी देर इधर-उधर की हात करने छे दाद रूमाल घापिय भांगिए झीर उसे सब लोगों के सामने भाड़ दीज्िए--डसमें गिलास नही निकफेगा | जिख प्रकार गमाल्ल गायच करने वाले खेल में एक ने पर रुपये की शक्ल फा घातु का टुकड़ा सीं दिया जाता है देसे ही इस शेल से एक कोने पर उस छोटे गिलास জী बरावर दांव पी चूड़ी सी दी जाती है। सुपये को पपदते स्मरतो टैक না হী भुद्दी দ্র হালা है 7४ गिलास पफएने दाग तरीदा इसरा है। पांचों उँ०कियोँ से चूड़ी थे किदारों यो इस प्रदार खडकता हुक्म पकड़वा देने ७१




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