बाल दीक्षा : एक विवेचन | Baal Diksha : Ek Vivechan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
86
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ७ )
नि कि सारी प्रकृति में चेततता काम कर रही है ।” सर जेम्स जीन्स कहते
व्मा है-“+ १ हम इस विश्व में इतने अजनवी वयो टी आ घेंसने वाले नहीं
7 जैसे कि हम पहले सोचा करते थे ।” व॑ज्ञानिक जे. वी. एस हेल्डन
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लिखते है---“२ सत्य यह् है कि विर्व का मौलिक तत्व जड ही नही अपितु
मन् शौर चेतनाः दै 1 इसी प्रकार अब बहुत सारे वैज्ञानिक कहने लगे
है,--३ कुछ समय पूर्व तक वैज्ञानिक क्षेत्र में नास्तिक होना एक फैशन
की बात समझी जाती थी, परन्तु आज जो आदमी अपनी नास्तिकता पर
যা करता हैं उसे बुरा समझा जाता है। यह श्रेय विज्ञान को ही है ।”
अस्तु आधुनिक युग के ये ऐसे तथ्य हे जो समस्त मानव-समाज को एकाएक
हिंसा से अहिंसा की ओर, भोग से त्याग की मोर और जडवाद से आत्मवाद
की ओर बलछात् ले जाते हेँं। ओं के सामने पटी यवनिका हट जाती ह
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