आभामंडल | Aabhamandal
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
225
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)९, व्यक्तित्व को व्यूहरचना:
आत्मा और शरीर का मिलन बिन्दु
०
| ।
-९१
লহ)
গু
धात्मा और शरीर दो तत्त्व हैं।
उनका सम्बन्ध कया है ? वह कहां से प्रारंभ होता है? केन्द्र में आत्मा,
परिधि में कपाय-तंत्र जो अतिसूक्ष्म शरीर का मजबूत मोर्चा वनाए बैठा
है। शवित-तत जो प्राण-विद्युत् प्रवाहित कर रहा है ।
भुतन्य के स्पंदन : अध्यवसाय-तंत्न ।
प्षयात्मक, रागात्मक, हे पात्मक ।
यहां तमः स्थूल शरीर के साथ कोई सम्बन्ध नहीं । अध्यवसाय का सम्बन्ध
धृथ्म और अतिसूक्ष्म शरीर से । यह वनस्पति आदि में भी ।
अध्ययसाय के स्पंदन स्यूत शरीर (चित्त-तंत्र और मस्तिष्क) के साथ
सम्वन्ध रघापित फरते है ओर लेश्यातंत्र या भावतंत्न तथा रंग के परमाणू
प्रन्धियों को प्रभावित करते हैं ।
प्रियानंत : मन, वचन, शरी र।
नाशे-मंस्पान को प्रभावित कर मन, वचन, शरीर की क्रिया कासंचालनः
परता ई ।
परमम् परीरसे रंग दिखने शुरू हो जाते हैं।
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