आभामंडल | Aabhamandal

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Aabhamandal by युवाचार्य महाप्रज्ञ - Yuvacharya Mahapragya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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९, व्यक्तित्व को व्यूहरचना: आत्मा और शरीर का मिलन बिन्दु ० | । -९१ লহ) গু धात्मा और शरीर दो तत्त्व हैं। उनका सम्बन्ध कया है ? वह कहां से प्रारंभ होता है? केन्द्र में आत्मा, परिधि में कपाय-तंत्र जो अतिसूक्ष्म शरीर का मजबूत मोर्चा वनाए बैठा है। शवित-तत जो प्राण-विद्युत्‌ प्रवाहित कर रहा है । भुतन्य के स्पंदन : अध्यवसाय-तंत्न । प्षयात्मक, रागात्मक, हे पात्मक । यहां तमः स्थूल शरीर के साथ कोई सम्बन्ध नहीं । अध्यवसाय का सम्बन्ध धृथ्म और अतिसूक्ष्म शरीर से । यह वनस्पति आदि में भी । अध्ययसाय के स्पंदन स्यूत शरीर (चित्त-तंत्र और मस्तिष्क) के साथ सम्वन्ध रघापित फरते है ओर लेश्यातंत्र या भावतंत्न तथा रंग के परमाणू प्रन्धियों को प्रभावित करते हैं । प्रियानंत : मन, वचन, शरी र। नाशे-मंस्पान को प्रभावित कर मन, वचन, शरीर की क्रिया कासंचालनः परता ई । परमम्‌ परीरसे रंग दिखने शुरू हो जाते हैं।




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