समता पर्युशण पर्वाराधना | Samta Paryushan Parvaradhna
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
311
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about सज्जनसिंह मेहता - Sajjansingh Mehta
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पर्व का अर्थ-
पर्व के कई अर्थ होते हैं परन्तु वर्तमान परिप्रेक्ष्य में पर्व का
अर्थ है - पवित्र पावन दिवस। हमारे देश में अनेक पर्व मनाये जाते
हैं। ये पर्व दो प्रकार के होते हैं - (1) लौकिक और (2) लोकोत्तर
लौकिक पर्व-- ये पर्व आमोद-प्रमोद, हर्ष-उल्लास,
भोग-उपभोग के लिए होते हैं। इन पर्वो का सम्बन्ध शारीरिक पोषण
व मनोरंजन से होता है, आत्म-साधना से नहीं। दीपावली, दशहरा,
रक्षा बन्धन, होली आदि लौकिक पर्व है| राष्ट्रीय पर्व इसी श्रेणी में आते
है । इन पर्वो के मूल मेँ कुछ भी कारण रहा हो लेकिन आज ये पर्व
लौकिक पर्व की सीमा मे आबद्ध ই।
लोकोत्तर पर्व दूसरी श्रेणी के पर्व, शरीर की सीमा से
ऊपर उठ कर आत्म-साधना ओर आत्मोत्थान की प्रेरणा देते हैं
इसीलिए ये लोकोत्तर पर्व कहलाते हें | इन पर्वो के प्रसंग से उपरी तोर
पर भले ही शरीर का शोषण लगता है, परन्तु इनसे आत्मा का पोषण
होता हे । इन पर्वो को धार्मिक या आध्यात्मिक पर्वं भी कहते हें | सभी
धर्मो मे लोकोत्तर पर्व मनाए जाते है. जेसे बौद्ध धर्म मे वैशाखी, हिन्दू
धर्म मे जन्माष्टमी, रामनवमी, निर्जला एकादशी आदि । इस्लाम धर्म मे
रमजान, ईसाई धर्म में क्रिसमस, जैन धर्म मे पर्युषण पर्व, महावीर
जयन्ती आदि | जेन धर्म मे पर्युषण पर्व विशेष आत्म-शुद्धि का पर्व हे ।
इस पावन प्रसंग पर भव्यजन शरीर से ऊपर उठ कर आत्म-शुद्धि एवं
आत्म-दर्शन का प्रयत्न कर जिससे परमात्म-दर्शन का मार्ग प्रशस्त
हो सके | जिस प्रकार दीपावली के अवसर पर सभी लोग मकानां का
कूड़ा कचरा निकालकर स्वच्छ करते है, बाह्य शुद्धि करते हैँ उसी
प्रकार पर्युषेण पर्वं के इस पवित्र-पावन प्रसंग पर मानव अपनी आत्मा
कं निवास स्थान रूपी शरीर से राग-देष, `कषाय, मिथ्यात्व रूपी
कचरा निकाल कर उसे शुद्ध- स्वच्छ वनाने का प्रयत्न करें । आत्मा
को दान, शील, तप ओर शुद्ध भाव मे लगावै! कवि ने कहा है-
यह पर्वं पर्युषण आया, सव जग मेँ आनन्द छाया रे। यह.
__ यह विषय कषाय घटाने, यह आत्म गुण विकसाने
~^ समता पर्युषण पर्कराघन्द्र >) ২... = `
User Reviews
No Reviews | Add Yours...