समाज संगठन | Samaj Sangathan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
38
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
जैनोलॉजी में शोध करने के लिए आदर्श रूप से समर्पित एक महान व्यक्ति पं. जुगलकिशोर जैन मुख्तार “युगवीर” का जन्म सरसावा, जिला सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। पंडित जुगल किशोर जैन मुख्तार जी के पिता का नाम श्री नाथूमल जैन “चौधरी” और माता का नाम श्रीमती भुई देवी जैन था। पं जुगल किशोर जैन मुख्तार जी की दादी का नाम रामीबाई जी जैन व दादा का नाम सुंदरलाल जी जैन था ।
इनकी दो पुत्रिया थी । जिनका नाम सन्मति जैन और विद्यावती जैन था।
पंडित जुगलकिशोर जैन “मुख्तार” जी जैन(अग्रवाल) परिवार में पैदा हुए थे। इनका जन्म मंगसीर शुक्ला 11, संवत 1934 (16 दिसम्बर 1877) में हुआ था।
इनको प्रारंभिक शिक्षा उर्दू और फारस
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१३ समाज-संगठन
परन्तु गृहस्थाश्रम व्यवस्था ठीक न होने से--समाज के अव्यवस्थित
ओर निरबल होने से यह सब कुछ भो नहीं हो सकता। इस लिए
अंतरंग ओर बहिरंग दोनों दृष्टियों से समाज-संगठन की बहुत बड़ी
जरुरत है। विवाह भी इसी खास उद देश्य को लेकर होना चाहिये
आर उसको पूरा करने के लिए प्रत्येक स्त्री पुरुष को उन दस कर्तव्यो
का पूरी तार से पालन करना चादिए जो कुटुम्बं को सुव्यवस्थित
बनाने के लिये बतलाए गए हैं, ओर जिन पर समाज का संगठन
अवलम्बित हे |
सिद्धि के किये जरूरत
समाज संगठन को पूरी तोर से सिद्ध करने के लिए ओर
यृहस्थाश्रम का भार समुचित रीति से उठाने के लिए इस बात
की वहुत बड़ी ज़रूरत है कि स्त्री ओर पुरुष दोंनों ही योग्य (हों,
समथ हों, व्युत्पन्न हों, युवावस्था को प्राप्त हों, समाज हित की
टष्टि रखते हों ओर संगठन की ज़रूरत को भले प्रकार समभते
हों। बाल्यावस्था से ही उनके शरीर का संगठन अच्छी रीति पर
हुआ हो, वे खोटे संस्कारों से दूर रक्खे गए हों ओर उनकी शिक्षा
दीक्षा का योग्य प्रबन्ध किया गया हो। साथ ही विवाह-संस्कार
होने तक उन्होने पूं ब्रह्मचर्यं का पालन क्रिया दो रौर लौकिक
तथा पारमार्थिक ग्रन्थों का अध्ययन करके उनमें दक्षता प्राप्त की
हो अच्छी लियाकत हासिल की हो | बिना इन सब बातों की पूर्ति
हुए समाज का यथेष्ट संगठन पूरे तोर से नहीं बन सकता, न
गृहस्थाश्रम का भार समुचित रीति से उठाश जा सकता है ओर न
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