राजा भोज | Raja Bhoj

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Raja Bhoj by श्रीयुत विश्वेश्वरनाथ रेउ - Shri Vishweshwarnath Rau

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about पण्डित विश्वेश्चरनाथ रेड - pandit vishveshcharnath Red

Add Infomation Aboutpandit vishveshcharnath Red

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
राजा भोज का वंश ३ पर के वसिछ के याधम में घुस कर उसकी गाय को छीन ले गया । इस पर बसिच के अपनिकुरड से उत्पन्न हुए एक वीर ने शत्रुओं का नाश कर उसकी गाय उसे वापिस ला दी । यह देख मुनि ने उस योद्धा का नाम परमार रख दिया और उसे राजा होने का आशीर्वाद दिया | उसीं परमार के बंश में द्विज-बर्ग में रज्रूम और अपने मुजवल से नरेश-पद को प्राप्त करने वाला उपेन्द्रराज् नांस का राजा हुआ । पद्मणुप्तर परिमल के बनायें निवसाहसाइचरित में किल्लार्दि स्थापयामास सुजज्ञाबुदसंज्ञया ॥ इसी प्रकार जिन भ्रभसूरि के बनाएं अवुंद कत््य में भी लिखा हैं --- इसकी सातवीं पीदी में राजा भोज हुआ था । बह सखुसाइयुप्त का पुत्र और भोज के चचा मुझ वाक्पतिराज द्वितीय का समा-कथि था । तंजोर से मिलनी नकसाहसाकचरित को पुर इस्तलिखिस पुस्तक से इस ऋषि का दूसरा नाम कालिदास होना पाया जाता हैं। चथपि इस कवि ने छन्त में सुज़ के चोटे जाता भोज के पिता . सिन्बुराज के कदने से सच- साइसाकचरित नामक ५८ सगे के काप्य की रखना की थी । यह घटना दिवं यियाखुमंम वाचि सुद्रामदत्त थां वाक्यतिराजदेवः । तस्वानुजन्मा कविवांघवोसी मिनत्ति तां संप्रति सिन्घुराज़ा ॥ सगे 1 रलोक स




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now