प्राचीन मुद्रा | Prachiin Mudra

Prachiin Mudra by रामचंद्र वर्म्मा - Ramchandra Varma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( & ) आदि यूरोप के देशो मे, कलकत्ता, बंबई ऋादि की एशियाटिक सोसाइटियों के संश्रहों में, तथा इंडिवन स्थुजियम्‌ (कलकत्ता), वंगीय साईदित्य परिषद्‌ (कलकत्ता), लखनऊ म्युलियम्‌ , राज- पूताना स्थुजियस (अजमेर), सरदार स्थुजियम्‌ ( जोधपुर ), बॉद्सन्र स्युजियम्‌ ( राजकोट ) >ल्‍ख ऑफ बेड्ल स्युजियस्‌ ( बंबई ), मद्रास स्थुजियम्‌, पेशावर स्युजियम्‌, लाहोर स्युजियम्‌, पटना स्यु्ियस्‌, नागपुर स्युजियस्‌ आदि कई ष्कः संव्रहाज्लयो मे तथा कटै धिद्याुरागी गृहस्य के निजी संग्रहों में विद्यमान है ओर उनमें से कई एक संग्रहों की सचित्र सूचय भी छुप चुकी हैं। ऐसे हो कई अलग अलग स्वतंत्र अंथ भी युरोप की अनेक साथाओं में प्रकाशित हो चुके हैं ओर कई पत्रिका्ँ भी केदल इसी संबंध में प्रकाशित होती रहती हेः तथा प्योन शोब-छंवंधी अगरेजी आदि पत्रिकाओं में समय समप पर वहुत कुछ सचित्र लेख प्रकाशित हुए हैं ओर होते रहते हैं। भारतीय प्राचीन सिक्कों के संबंध का यह साहित्य इतना बिस्ती् है छि यदि कोई उसका पूरा संग्रह करना चाहे, तो कई हजार रुपए व्यय किए बिना नहीं हो सकता | खेद का विषय है कि हिन्दी साहित्य में इस बड़े उपयोगी विप्प की अब तक चर्चा भी वहों हुई। पुरातत्व विद्या के सुप्रसिद्ध विद्वान ओर सिक्कों के विषय के अद्वितीय ज्ञाता श्रीयुत राखालदास वैन्जी, दम. ए. अपनी मातृभाषा बँगला




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