रास रत्नावली | Ras Ratnavali
श्रेणी : पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
24.64 MB
कुल पष्ठ :
454
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रास हव ६. चौक चंदन लीपके आार्रात घरी सैजोय 1 कहत घोष कुमार ऐसी आानेंद वनितष्टी दोय 1 कीरे कार अरकत गोपिका पहिर आासपण चौंर । गाय चच्छ सम्ह््र लाये र्दालिनी की भइ सीर ॥ सादद मंगल साइत लाला कराह गापा सवाल | दरद अझक्षत दूव दूधि से तिलक कराह इजवालं एक इस दा्ट गोवाई एक सदा धाय । सुकू एकन शिनत काइन एक खिलावत गाय ॥ एक वृद्ध किशोर वालक एक योबन योग । कृष्ण जन्म सुप्रेंम सागर नगंडत सब इज लोग ॥ प्रस सुकुंद के हेतु नूतन दोहि घोष पिलास । देखि इज की संप्रदा को झूले हैं श्रों सूरदास ॥ ४० देखेरे अद्धुत अवगति की गति कैसो रुप धरयों है ॥ठेक तीन लोक जाके उदर वन में सूप की कोन पर्यों है। जो सुख दरश काज सनकादिक चतुराइई सब ठानी ॥ जिन कानन गज की विपता सुन गरुडासन विसशयो है। तिन कानन के निकट यशोदा इलरायों गुण गायों है। | जिनहीं सुजा प्रहलाद उवारयो प्रगट होय खंभ फारयो है। सो खुज पकरि ग्वाल अरु गोपी ठाड़े होय डुलारयों है ॥ जाके काज रुद् अ्मादेक कठिन योग दूत साध्यो है । जाकी व्याय नंद की रानी ऊबल सों गहि वांष्यों है जाको सुनिजन व्यान धरत हैं शंस समाधि न बरी है सो ठाकुर है..सरदास को गोकुल गोप बिहारी है 0४१ पद |. देखारी यह केसा बालक रानी.जशुंमति जाया है ॥ टेक सुन्दर चरण कमल दल लाचन दखत चन्द लजाया है पूरणं अदा अलख अविनाशी प्रगट नंद घर आया है ।
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