हरिवंशपुराणं | Harivansh Puranam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
425
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(१५)
छेद्शास्र, ३ श्रीगुरुदासकृत प्रायश्वित्तचुछिका, श्रीनन्दिंगसकतटी कासहित, ४ अकर्लककुत प्राधश्चितत ) । मू० १०)
१९ मृरा्वार--(पृ्वारध); श्रीवहृकेरस्वामीकृत मूल, श्रीवसुनन्दि कृत अन्ारदृत्ति । १०५२० । मू०९॥)
२० भावसंग्रहादि-( १ श्रीवेवसेनसुरिङकृत प्रङ्त भावुग्रह छायासहित, २ श्रीवामदेवपण्डितकृत
संस्कृत भावसंग्रह, श्रीश्रुतमुनिकृत भावनिमंगी ओर ४ आघ्नवतरिरभगी ) १० ३२८ । भू० २।)
२१ सिद्धान्तसारादिसंप्रह--( १ श्रीजिनचन्द्राचार्यकृत सिद्धान्तसार प्राकृत, श्रीज्ञानभूषणकृत
भाष्यसहिंत; र श्रीयोगीन्द्रकृत यागसार प्राकृत, ३ असताशीति संस्कृत, ४ निजात्माष्क प्राकृत, ५ अजितब्रह्मकृत
कल्याणालोयणा प्राकुत, ६ श्रीक्षिवकोरिकुत रत्नमाला, ७ श्रीमाघनन्दिकृत शाख्रसारसमु्नय, < श्रीप्रभाचन्द्रकूत
अहत्रबघन, ९ आप्स्वरूप, १० वादिराजश्रेष्ठीप्रणीत ज्ञानलोचनस्तोंत्र, ११ श्रीविष्णुसेनरचित समवसरणश्तोत्र,
१२ श्रीजयानन्द्सुरिकत सर्वज्ञत्तवन सटीक, १३ पारश्बनाथसमस्यास्तोत्र, १४ श्रीमुणभद्रकत चित्रवन्धस्तीत्र,
१५ महर्िस्तोत्र, १६ श्रीपद्मप्रभदे वृत पा्वनाथस्तोज, १७ नेमिनाथस्तोज, १८ श्रीभानुकीरतिृत दौखदेवाश्क)
१९ श्रीअमितमतिकरृत सामायिकपाट, २० श्रीपदमनम्दिरायचित चम्पर सायण प्रकत, २१ श्रीकुठमद्रकृह सारसशुय,
२२ श्रीशुभचन्द्रकृत अंगपण्णत्ति प्राकृत, २३ विबुधश्रीधरकरृत श्रतावतार, २४ शक्ाकाबिवरण, ९५ ० भाश.
घरकुत कल्याणमाला ) इष्संर्या ३६५ । मू० १॥)
९२ नीतिवाक्यागृत--श्रीसोमदेवसूरिङृत मूल ओर किसी अज्ञातपण्डितङ्कत संस्कृतटीका । मू०१॥)
२३ मृटाचार--( उत्तरार्थ ) श्रीवडकेरस्वापिङत । शष्ठरूया ३४० । पू० १)
User Reviews
No Reviews | Add Yours...