खरे-खोटे | Khare-Khote
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
356
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)परो | १५
लपमग चीरु-दककीर् की थौ) मामा कै कटने-सुनने धर वहो श्वर राव
जी पन्द्रह-्यीस हजार का ददेज देना मी यान गर् ये |
जब यदद उनकी बदन को बताया गया तो वे श्राँदू यदाने लगीं |
पुरानी बातें उन्हें याद श्राती जाती थीं । उनके दहे सपनों के देर में
से श्रय एक टूटा-कूदा कपड़ा उठ रहा था । न वे ठीक तरदरो दी
पाती थीं, न सन्तुप्ट ही हो पाती थीं । सुजाता पर तो कड़ा प्रा लगा
दिया गया | ॥
शहनाइयां बज रही थीं | मामा त्तनकर सड़े दो गये। सामने से
एकः लाल शाल के नीचे, दृह कै पितरा, पांच-दसं स्त्रियो श्रीर दो-चार
सम्पन्पी श्रा रहे थे । शादी से पहले कोई रस्म श्रदा की जा रही थी !
यराती पिछले दिन दी काटूर में श्रागये थे । वे मामा के किसी रिश्तेदार
के घर ठदराये गये थे |
यराती ब्रह्म शवर राच जी को श्रलग से जाकर याततें करने लगे ।
उन्दोंने मामा की तरफ नजर उठाकर भी न देखा । मामा उनकी श्रोर
तिरी नजर से देख रहे थे। दाल में कुछ काला नजर श्राता था,
क्योंकि तय तक सारी बातचीत उनके श्रीर उनके भाई के द्वारा हुई थी |
स्रातें जद जोर-जोर से होने लगों तो नरसिंद मामा भी उनके पास खड़े
हो गये |
“पमले ही झाज इम गरीब हों, पर हमारे खानदान की भी मान-
मर्यादा है” दूल्दे के पिता कद रदे थे श्रीर मामा कान लगाकर
सुन रहे थे । “लेन-देन के बारे में हम ब्रहुत पके हैं, नकद का हिसाथ
है | सासा-का-सारा दहेज, वीस हजार शादी के समय सबके सामने देना
दोगा ।” कहते-कदते वे इधर-उधर देखने लगे ।
मामा पैसे के बारे मैं उनकी चिन्ता समझ सकते थे । दो लड़कियाँ
थीं, शादी की उम्र दो चुकी थी श्रीर बिना दषेन दिये उनकी शादी
की नहीं जा सकती थी । इसी देन से वे उनकी शादी करना चाहते
थे । लड़के को श्रामे पढ़ाने-लिखाने की व्यवस्था भी कर रहे ये | मामा
User Reviews
No Reviews | Add Yours...