सुबह के रंग | Subha Ke Rang

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Subha Ke Rang by अमृत राय - Amrit Rai

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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लादे के पर्दे ोर बांखों की टट्टिया ष इसके विपरीत चीन एशिया को श्रीर सारी दुनिया की दिग्वला रहा हैं कि एक बार जनता की रचनात्मक प्रतिमा को राह मिल जाने पर हर करिश्मा उनके लिए श्रासान हो जाता है वे चाहे तो पहाड़ों को यहाँ से उठाकर यहाँ रख दें । सच मेरे लिए तो चीन की कहानी की यही सीख है | नया चीन पूरब के दुखी देशों को श्राजादी की राह दिखा रहा हैं सच्ची श्राशादी की जो एक ही वक्त से घरती को भी झ्ाज्ञाद करती है श्रौर श्रात्मा को भी श्राज्ञाद करती हूं घोर श्राज्ञाद करती है उनकी सोती हुई शक्तियों को उनकी विराट सुजनात्मक प्रतिभा को | बह चीन की श्राजादी ही है जिसने श्रन तक के सीते हुए पूरब मे बिजली दौडा दी है श्रौर उपनिवेश जाग पढ़े हैं | राज पूरब के देशों की जनता जो शपनी साम्राजी-मामस्ती बेडियो को काटने के लिए श्रपने को श्राजाद करने के लिए श्पनी किस्मत तपने हाथ में लेने के लिए कृतसंकलप है तो इसका भी रहस्य नये चीन में मिलता है । चीन उनको प्राकू-इतिहास के घेरे से निकल कर इतिहास की विशाल भूमि पर खड़े होने की क्रात्तिदीक्षा दे रहा है । श्र हो सकता है कि इसीलिए खादी का पर्दा खड़ा किया गया है ताकि श्रोड़ रहे . ..




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