ब्रह्मचर्य - व्रत | Brahmcharya Vrat

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Brahmcharya Vrat by शंकरप्रसाद दीक्षित - Shankar Prasad Dixit

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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लाभ ओर मादात्म्य तके तुया उत्तम बंबचेरं | है सुगदायंग सृच । ब्रह्मचय दी उत्तम -तंप'है। -* +-' न्रह्मचय से क्या लाभ होता है, और. का केसा साहात्म्य हे,यह संक्षिप्त में नीचे बताया जाता है । आत्मा का ध्येय, संसार के जन्म-मरण से छूट! कर, मोज़: प्राप्त करना है । इस ध्येय को तभी प्राप्त कर. सकता है :... जब , उसे शरीर, की सहायता हो--झथोव की का. स्वस्थ हो ।, शरीर के, धम नहीं दो _. :सकता, ओर बिना धर्म. के; अपन उक्त ध्येय तक नहीं पहुँच ,सकता | कान््य अन्थों में कहां : शरादिमाध खल घम साधनमू । का कुमारसम्भव 1. डारीर ही, सब धर्मों का प्रयेम और उत्तम साधन है । | 5. धेमाथ काम मूल मुचगमू । घंमे, छोथे; काम और मोक्ष कां, भारोग्य ही साधन है. ।” 2 कं




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