अनुभूति और चिंतन | Anubhooti Aur Chintan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
217
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)५ । 58
॥
[ज फ ॥
( १५)
जो मगलमय है वह भी सुभ्दर माना गया है । साहित्य में मंगल की तमाम
भावनाएँ सुन्दर ही प्रतीत होती हैं । वास्तव मे जो वस्तु मगलसभ होगी वह् हमारी
आवश्यकता को पूरी करेगी सौर वह सुन्दर भी होती है अर्थात् उस वस्तु के दढारा
कामदो जाने के बद भी, तुस्ति प्राप्त होने के प्चात् भी, उसकी आकषण शक्ति मे
कमी नहीं होगी, इसलिए आकर्षण का दार्व होना एक वस्तु को सुन्दर बना देता
दै। सभी सुन्दर वस्तुख का ससार फे मंगर के साथ सामन्नस्यहै । यही म॑गल्का
तन्तु एक व्यक्ति को सप्नार के अन्य व्यक्तियों से जोड़ता है ओौर तभ उसका कायं
ससार के मगल के लिए हो जाता है 1
ससारमे इसी सौदयं की अपनी एके विद्धेष महत्ता है 1 कवि अपनी अनू-
भूतियो के सहारे एक सत्य की सजेना करता है ¦ उस सत्यको सभी अपनाक्ततेरहै।
अपनाने का कारण भी यही है कि उस सत्य में सभी अपने व्यक्तित्व का आभास
पति है । साहित्य ही क्यो, करा, जो अनुभूति पर आधारित है वह नित्यकी लीलाओं
मेही सुन्दर मय भगवान का दर्शन करपातीर्है। ५
१ “आधार एकं हौ है मनुष्य कौ मावना ने जिसकी महत्ता का अमुमव किया
उसकी अचंना फे लिए सेकड़ों सन मिट्टी पत्थर तथा चूमने लानला कर के एक मन्दिर
तैयार कर दिया 1
-साहित्य और सौंदर्थ
रवीन्ज् ठाक्र
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