सप्ततिकाप्रकरण | Sapattika Prakaran
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
446
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रस्तावना १५
१ नाम | परिमाण । कर्ता रचनााल
भन्तर्भाप्य गाज! गा० १० ¦ मज्ञा अज्ञात
९ भाष्य ` गामा १९१ ' अभयदेव सूरि वि.११-१२वीश.
सर्णि ¦ एव्र १३२ अज्ञात अज्ञात
\ सणि ¦ इरो० २३०० ¦ चन्द्रि महत्तर | अनु° जवी श
| यत्ति : ,, ३७८०. सख्यगिरि सूरि वि. १२-१३वीं दा,
। साप्यवृत्ति ¦ ,, ४१५० ¦ सेस्तुंग ष्रि | बिसं. १४४९
| टिप्यन ` , चज्य | रामदेव | तरि.१२ वीः.
भबन्ुरि , देखो गव्य कमं | गुणरल्न प्रि । वि, पवी शा,
| ्रन्यद्धी अवर | ः
9 ।
नमेते १ भन्तर्भाष्य गाथा, २ चन्द्रपि महत्तस्छी द्रूणि तौर
रे मछयगिरि सूरिकी बृूत्ति इन तीनका परिचय कराया जाता है |
अन्तर्भाष्य गाथाएँ -सप्ततिकामे अन्तर्माप्य गाधाएँ कुल दूस हैं ।
ये चिविध विषयोंका खुलासा करनेके लिये रची गईं हैं। इनकी रचना
किसने की इसका निश्चय करना कठिन है । सम्भव है प्रस्तुत सप्तदिकाके
संकरुथिताने ही इनक रचना की हो । खास खास प्रकरण पर कपाय-
आतम भौ भाप्यगाथा पाई जाती है ओर उनके रचयिता स्दयं कपाय-
भाश्छृतकार हैँ । बहुत संभव है इसी पद्धतिका यहाँ भी श्रनुसरण किया गया
(१) इसका उल्लेख जैन ग्रन्थावलिमें मुद्रित बृदट्टिप्पतिकाके श्राधघारसे
दिया दै ।
, ` (२ इषका परिमाण २३०० इलोक श्रघिक ज्ञात दोता दै! यद
सुक्ताबाई ज्ञानमन्दिर ड भोईसे प्रकाशित हो चुकी है |
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