आधुनिक बाल कहानियां | Aadhunik Baal Kahaaniyan

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Aadhunik Baal Kahaaniyaa by रमाशंकर - Rmashankar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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व मनमोहक खुश्बू से उसका मन खिल उठा | धीरे से पेड़ की टहनी को हाथ से पकड़कर वह फूल को अपने करीब लाया और फिर उसे अपने गालों से स्पर्श कराया । उस कोमल स्पर्श से उसके चेहरे का रंग गुलाब के मुकाबले और सुर्ख हो गया | उसे एक हल्की सी गुदगुदी का एहसास हुआ और उसके दूध से दांत ट्यूब लाईट की तरह चमक उठे । गोलू की प्रसन्नता का कोई ठिकाना न रहा। औखों में खुशियों का सागर ठाठें मारने लगा और गुलाब की पंखुड़ियों से कोमल उसके होठों पर मुस्कान रूपी नर्तकी नाच उठी। इतना खुश वह कभी न हुआ था| चाबी की ट्रेन, रबड़ के बबुए या टीवी की कार्ट्न फिल्में भी उसे इतना आनन्द नहीं देती थी, जितना कि वह गुलाब का ननहां सा फूल | पर तभी न जाने कहां से उड़ते-उड़ते एक रंग-बिरंगी तितली वहां आ टपकी | पहले तो उसे देखकर गोलू बहुत खुश हुआ । पर जब उसने देखा कि वह भी फूल की ओर लपक रही है, तो गोलू सावधान हो गया | उसके न्यारे फूल की खुश्बू और कोई सूंघे, यह कैसे हो सकता है ? और फिर केवल खुश्बू की बात होती, तो वह शायद मान भी जाता । वह तो फूल को ही जूठा करना चाहती थी | 'छी, लालची कहीं की ! सवेरे - सवेरे मुंह तक धोया नहीं और चली आयी बासी मुह मेरे फूल को जूठा करने ।'' कहते हुए गोलू तितली को वहां से भगाने लगा। लेकिन तितली कहां भागने वाली, इधर से 'उधर और उधर से फिर इधर! तितली आगे-आगे, गोलू पीछे -पीछे .!..जहां गोलू ने फूल जूठा न करने देने की ठान ली थी, वहीं तितली ने भी जैसे फूल की खुश्बू सूंघने की जिद पकड़ ली थी। तितली एक पेड़ से उड़कर दूसरे पर चली जाती और फिर गोलू के वहां जाने पर वह तीसरे या पहले पर आ जाती । हट तितली के पीछे भागते - भागते गोलू तो एकदम थक गया। उसका नन्हां सा दिल जोरों से धक - धक करने लगा और सासें सूं - न




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