वंशभास्कर | Vanshbhaskar

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Vanshbhaskar  by सूर्यमल्ल - Sooryamall

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[३ विवाह करक्ते इंदी विजय क्षरने को जाना और सयूख की इतिश्री ३३८४ वीचडी नापर यसम युडः जीतकर रावराजा उम्मेद्सिदका कुदा जय करना, दलेजसिंए का बुंदी दा राज्य जयपुर के ष्ाराजाको देकरद रभने चना आर श्रयत की इविभ्ी ३६८६ हा चुदी चि रने क्ते श्रथ जयपुर की सेना का चढ़ ना शोर सयूख की इतिश्री ३३९ जयपुर की सेना पर उस्प्रेटिंद का सेना सजना और सयूख की हृति स्री ३४०१ ध्वी, अपमरष्िद खर भरजाद्‌ सिह का उम्सेदासद्ं कमी खय पर श्ना सार सथल दरो इतिश्च ३२११ , अमरपुराके युद्ध में जयपुर को सना का विजया दाकर छदा पर्‌ चाध दर्‌ करना शरीर वदाराव राजा उस्पदखहंकाथापल होकर नकलना सर ससूर्छ का इतिश ३४१४ ठस्तेदृ्िद्‌ कः इन्द्रगड होकर राखषुश्मं निवास करना, कोटाफेपत्तिका रन फरना घोर सहाराखणाका घोड़ा सा दे सत्कार मजना अर उस्पदादह्‌ छा (मिवा सकय पो वुन्दा दा था सूदना र्‌ सयुक्त हतन ३४८४ जयपुर्‌ की पवजय करने के अथं सहाराखाल्ता सलाह करना सार जघपुर के प्रधान केचावदास का प्रधानपनसे दूर हकर दकल दाना २४५१ जयपुर के प्रधान हरगोाचदका एुन्नाउं सहाराजा इंस्वराउइका आस एज १४४ नाधद्वारे में उदयपुर के महाराणा, फोदा के सहाराव, फछलादा लाघवन सिह कह एकन् होकर जयपुर का विजय करनपा सलाह करना, सरहठ : राव सहित सबकी सना का जयपुर जाना और लयुख का इता रेभ राजसइल पर दामों ओर को सनाका युद्ध दाना आर महाराजा इश्वरा ` ५ खिह्का आना सुनकर मेवाड़ अआशंद का पनाक पहा करना मचूखक्रा इरा सश्ा २४६० वहाराच्छ इंश्वरासदह् का पारे लगकर भांलद्ड़ा पुरका लूट चार सेवाडयालो फे दनय क्रमे पर लट्वा छ)डकर्‌ जयपुर्‌ जाना ३४६५. उस्मेदप्सद का बुन्दी के देश से अपना अआधंकार करना, सदाराणा का कोटा के सदहारावक्ो नाधद्धार्‌ इुलानष चार्‌ परसूस्ल को हातेथा ३७४६: महारासखा क्रा कोटेवाले का सत्कार कादर नाथद्वार्‌ खश्वाद्इरा दक्र सन दहित गल्गाम तरु जाना चार उधरस इंग्वरांसहका सना एंकर




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