वंश भास्कर भाग - 7 | Vansh Bhaskar Bhag - 7

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Vansh Bhaskar Bhag - 7  by सूर्यमल्ल - Sooryamall

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अमयर्सिह का युरू] सघसमराहदि-्उर्ताधमयूरसत (२६११) अकछक छाके मरिबोदी माने कछवाइके कादंबिनी रूप कटक सो ठारे परे ॥ २६॥ या रीति पत्लापन होय रहोर बखतसिह नागोरका मार्ग लीनाँ॥ आअरु राजा अभयसिंहद्द याहीके बिगारिबेकों झायोहो यातेँ प- . च्छो जोधएरकाँ कुंच कीनों ॥ ७७५ अजुर्य ४ ओअस हे २ बेर कंछवाहकी सेनाको' सझुचह्न तरि तीजी ३ बेरकी ताकत न जानि बखत्सिंह निकसि नामोर ग्ायो ॥ अरु जाके इष्ट गिरिधिर परमेश्वरके हाथी तथा. पातुरिखानें सहित डेरनकी कछवाइकी कटठक लूटे ल्ायथों ॥ २७॥ तब वह बखतसिंहको इष्ट परमेश्वरतो जयासिंहनें नाँहि पठायो ॥ अर पातुरिखानेकों पच्छों भेजि करम्मरते कातरँ कहि लिखायो ॥ कहमय्रो अंतंहपुर हमारे भेंठ कीनी परन्तु हमकोतों अभ्वुक्त ग्राहक जानों ॥ न्र्ड वर ४० बा 2 पक मल कक मनन श्तृप्त हा कर २ जयबासह को सेघाला रूप ऊना से ॥ २६ ॥ ३ सागकर४ कंगो- च्चननाथ की झूति सहित ५ सेना ॥ २७ ॥| ६ पतन्ष में ७ छाघपर ८ जनाना ९ ४5 जिसका भोग पहिले किसी ने नहीं क्रिया छाथे उसके औ#उम्मेदार्सिह को जयसिंह का राजा नहीं कहना ओर इस समय राजा कहने के कारण उम्भंदर्सिह का बखतसिंह से युद्ध करना लिखा सो यह वात समम्त में नहीं आती क्योंकि शाहपुरा के राजा भारतसिह को दिल्ली के वादशाह आलम (बाहादुस्थाह) ने विक्रमा संवत १७६६ में राजा का खिताब देकर साढा' तीन हजारी का मनसब देदियाथा सो कई प्रमाणों से सिद्ध है, ओर भारतारतेंह के पुत्र राजा उम्मेंद- सिंह ने बखतसिंह से गिरधारी की मूर्ति सहित सेवा की हथनी छीनली से वह मूर्ति इस समय तक शाहपुरा में लक््मीनारायण के मंदिर में विद्यमान है ओर इसी युद्ध में.इस टीकाकार (वारहठ क्ृष्णसिंह)के बृद्ध प्रपि- तामह बारहठ देवलिंह बडी वीरता के. साथ घायछ हुए: और नागों की जमात के एक वीर के हाथ से हाथी की सुंंड कटजानें के कारण उस नागेको मारकर देवसिंह ने बह त्तघार छीवचडी जो इस. समय शाहपरा के शत्रागार (सिलहखाने) में नागाकाली त्तस्वार के नाम से विद्यमान है, इस खत्न की. लंबी चौड़ी कथा है सो विस्तार के मय से यहां नहीं लिखी जासकती इस युद्ध की रफिवदन्ती ऐसी प्रतिद्ध है कि शहपुराका राजा उम्पेदासेह एक ओर खा था जिनको हठजाने को राणेडो ने कहलाया जिनको उम्मेदर्सिह ने पोंढा कहलाया कि यदि वीरता का. घरमंड है तो युद्ध करके हटाकर ञआगे जाओ इसीपर इनसे युद्ध हुआ जिसमें राजा उमेदर्सिहर के छोटे भाई छुसछासिह आदि वड़ें चड़े वर सार गये ॥




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