भारतीय नागरिक | Bhartiya Nagrik
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
36 MB
कुल पष्ठ :
131
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)` आरतीयं नागरिक [ ७
भारतवासियो की भिक्षाया दानादि देने की रीति भी
` बहुत विचारणीय ओर सदोधनीय हे । यहां भिखारियों के
` वक्मान अक ठीक दीक नहीं मिलते, तथापि अनुमान से
उनकी संख्या पचास साठ लाख होगी; इनके अतिरिक्त यहां
बहुत से अन्य आदमियों की भी आजीविका दान-दश्चिणा
आदि ही है। वास्तव में यहां दानशीठता का यथेष्ठ सद॒ुपयोग
बहुत कम होता है । लोगों का परावलम्बी होना ( मुफ्त
की रोरी खाना ), तथा उनके ऐसा होने में सहायता करना,
. दोनों बाते अनिष्टकारी है । इसमें कमः संधार होरहा है ।
उद्योग धन्घे--भारतवष मं अधिकांश आद्मियो का
सख्य धन्धा खेती है। यहां तेस करोड आदमी कपि,
उथान, पञ्च पाटन, ओर खणिज द्भ्य निकालने आदि से
होने वाी आय पर आधित रहते दँ । दस्तक्रारी का आधार
साढे तीन करोड़ आद्मियों को, ओर व्यापारका, दो करोड
को हे । रेष आदमी नोकरी आदि भिन्न भिन्न कार्यं करते हः ।
' कुछ ऐसे भी हैं जो कोई उत्पादक कार्य नहीं करते, भिश्चा
- आदि पर निर्भर रहते हैं; इनके विषय में पहले कहा जा
चुका है।
` : आसित आय-मि° डिण्वी ने सन् १९०१ ईं०.
_ भारतीयों. की औसत सालाना आमदनी १८ ० ९ अने
सिद्ध की थी । ठाडे कज़न की सरकारी जांच, से. उसके समय
च
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