परिग्रह परिमाण व्रत | Parigrah Pariman Vrat  

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रतलाम - Ratlam

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श्री साधुमार्गी जैन - Shree Sadhumargi Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१९ | विषय-प्रवेश और उसके जाने पर दुःख करना, यह मूछों है । इस श्रकार की इच्छा या मृच्छ का नाम ही ममत्व है, और जिस भी वस्तु कैः प्रति ममत्व है, वही परिह है । तात्वाथ सूत्र के रचयिता श्री उमा स्वामीजी ने भी कहा है--- मूख परः अध्याय ७ सूत्र १२ अधीत--मूछो ही परिग्रह है ।




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