बलिदान | Balidan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
220
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ह्य | पहला अक । १९
पर जा बैठना पडेगा, तो क्या इसी डरसे आज हम लड़कीको पानीमें
फेंक दे ? तुमसे जो कुछ हों सके सो करो ।
कर०--ओौर तव फिर बाकी दोनों' लड़कियोंका क्या होगा
मसरी लडकीका न्याह भी इसीके साथ हो जाय तो अच्छी बात
है । दोनोंमें दो ही बरसकी तो छोटाई बढ़ाई है। हाँ, यह है कि
उसकी उठान ऐसी नहीं है, इस लिये जो चाहो सो कह लो ।
^ सर०--उन दोनों लड़कियोंक भाग्यमें जो कुछ बदा होगा सो
होगा । हिरणका ब्याह अभी दो बरस तक न भी हो तो भी कोई
हज नहीं है । कलके लिये घरमें अन्न न हो तो क्या इस लिये
आजका परोसा हुआ भोजन भी मिट्टी.कर दिया जाय ? बाबूजी
कहा करते थे कि यदि अच्छे पात्रकों कन्यादान की जाय तो एक ही
लद्कीसे सात लड्कोका काम निकलता है । और फिर यह भी तो
नहीं है कि ऐसे ही दिन सदा बने रहेंगे । इनसे अच्छे दिन भी आ
सकते हैं और बुरे दिन भी आ सकते हैं । तुम तो मर्द हो, इस तरह
जी छोटा क्यों 'करते हो
'करु०--में भी पहले इसी तरहकी बातें सोचा करता था; में भी
लोर्गोको इसी तरहके उपदेश दिया करता था । और इससे अच्छे
दिन कया पत्थर होंगे । इन दस बरसोंमें अभी तक डेढ्सो रुपए महीना
भी तनखाह नहीं हुई । तुम नहीं जानतीं, यह संसार बड़ा कठिन है--
इसे बन्घु-बान्धवहीन जंगछ ही समझो । यदि पहलेसे ही समझ-बुझ
कर कोई काम न किया जायगा तो पीछेसे अवश्य पछताना पढ़ेगा ।
सर०--अजी यह कौन जानता है कि कठको क्या होंगा ?
सुख-दुःख तो इस संसारमें ठगा ही रहता है । चाहे अच्छा हो
चाहे बुरा, धम्मके अनुसार सब काम करनी चाहिए । अपनी सन्ता--
नके शत्रु न बनो । यदि घर भी चला जाय तो तुम कुछ सोच मत
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