कंब रामायण | Kamb Ramayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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वाक्य होत है। पूवकालिक कृदन्ती के सहारे लम्बे स लम्बे वाक्य लिखे जा सकत ह | हिन्दी स एसा सभव नही हैं। हिन्दी स इदन्त विशेषण क द्वारा भूत ओर भविष्य काल को स्पष्ट नहीं किया जा सकता । इस कारण क्बन के कुछ लम्बे वणनों का अनुवाद यथामूल प्रस्तुत करने म बड़ी कठिनाई का अमुभव हुआ | मूल म अनेक बृक्चो, लताओ; पशुओं; पक्षियों और विधिध वस्तुओ का उल्लेख आया है । कही कही मछलियों की अनेक जातियों और स्वभाव का वर्णन आया हे | युद्ध वणन म अनेक प्रकार के शख्त्रा्त्री तथा विविध व्यापारों का बणन हुआ ह। इन सबका हिन्दी अनुवाद यथामूल उपस्थित करने की भरपूर चेष्टा की गई है, फिर भी हिन्दी सम उपयुक्त शब्दों के न मिलने के कारण कही कुछ नये शब्द गत्ने पड़े ह; कही तमिल का ही नाम देना पडा है। यदि इस अनुवाद स मूल क सांदय की थोडी सी भकलक भी पाठक पा सकेंगे; तो यह लेखक अपने को क्ृताथ समसकेगा | इस अनुवाद काये म कई विद्वानों क परामर्श सुकके प्राप्त हुए ह। प० अवध नन्दन ने पूरी पाइलिपि को देखकर उसका सपादन किया और कई सुकाव दने की कृपा की |. वे० सु० गापालष्णभनाय की कय रामायण व्याख्या बहुत उपकारक रही | समय समय पर अनेक तमिल तथा हिन्दी विद्वानों ने सुक्ते इस कार्य म मागदर्शन प्रदान किया है । इन सबके प्रति मैं हृदय से धन्यवाद समपित करता हूँ | बिहार राष्ट्रमाघा परिषत ने इस अनुवाद को प्रकाशित करने का भार अपने ऊपर लिया हे । इससे न केवल राष्ट्रभाषा हिन्दी की, अपितु तमिल भाषा की भी सेवा हो रही है । परिषत को मेरे धन्यवाद हैं । न० वी० राजगोपालन




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