पउमचरिउ भाग 5 | Paumachariu भाग 5

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(दम) प्रडलचूदिठ व्वासीवी सन्धि १५६१९७८ लबण भर अंकुराका यौवनम प्रवेश, राजा पृथूसे उनकी कन्याओं की मेंगनीं, उसके द्वारा विरोध, शव और अकुशकों उसपर कडार, सीतदिवोका भासीर्वाद, राशा पयुकी हार, कन्याओति लवण भौर भंकुदाका विवाह, नारद मुनि हारा रुवण अंकुशकों राम और लकष्मणके सम्बन्ध बताना, दोनोंका सुनकर भड़क उठना, सीताका दोनों पृत्रोंकी समझाना परन्तु दोनों पृष्नोंका विरोध, रामके पास उनका दूत मेजना, चढ़ाई, रूक्मणका दूवकी बात चुनकर भड़क उठना, दोनोंकी सेनांबोंमें भिड़न्त, युका वर्णन, लक्ष्मणका चक्कसे प्रहार करना, चक्रका व्यर्थ जाना, परिचय, मिलन, युदक आनन्वमें परिसमातति । तेरासीवीं सन्धि १७७९-२०३ लवण और अंकुछका अयोध्यामें प्रवेश, उन्हें देखकर स्त्रियोंकी प्रतिक्रिया, जनता द्वारा अभिनन्दन, रामके सीताके विषयमें अपने विकार, खीताके लिए रामका जाना, सीताका थाना, अन्नि-वरीक्षाका प्रस्ताव स्वयं सीता देवी हारा रशा जाना, अग्ति-ज्वाशाका वर्णन, उसकी विर्वनग्यापी प्रतिक्रिया, कमरूपर सिंहातनके बीच सीतादेवीका प्रकट होना, सबके द्वारा सीता देवीको साधुवाद, सीता हारा दीक्षा, रामका मित होना, सबका उद्याने महामुनिके दर्दनिके किए जाना, राम दाय धर्मस्वरूप पूछा जाना, मुनि द्वारा वर्मका उपवेदा । चौरासीर्वीं सन्धि २०४-२३४ विभीषण दढारा पूछे जानेपर मुनिवर हारा रामके पूर्व जन्मोंका वर्णन, लक्ष्मणके पूर्वं जन्मका वर्णव, नयदसतके जन्मसे लेकर इस




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