इकसठ कहानिया | Iksath Kahaniyan

Iksath Kahaniyan by हिमांशु जोशी - Himanshu Joshi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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वि उसने आरम्भ किया है। भूमिका तो अभी लिखी ही नहीं । पर उम्र के तीसरे पहर की यह ढलान निरन्तर लम्बे होते सांझ के ये साए | वह अचकचाकर ठिठक पड़ता है । आने वाले कल की उसे अधिक चिन्ता नहीं सताती न बीते हुए कल का कोई क्लेश दुःख देता है बुद्ध के क्षणवादी दर्शन में कुछ-कुछ आस्था रही है। इसीलिए अगले जन्म पर कुछ छोड़ने की आकांक्षा नहीं । अनेक कमियों-कमजोरियों के बावजूद यह संसार उसे नितांत सुंदर लगता है निरन्तर जीने योग्य । अक्सर सोचता है वह काश अपने कृत्यों से अपनी कृतियों से हम इसे कुछ औरसुन्दर बना पाते 7/सी-2 हिन्दुस्तान टाइम्स अपार्टमेंट्स मयूर विहार फेज़-एक दिल्‍ली-110091




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