कोलंबस | Kolambus

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Kolambus by पं. शिवनारायण द्विवेदी - Pt. Shivnarayan Dwivedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विचारके मागे पर | डे नहीं जानता था रास्तेका समुद्र कैसा है यह भी अज्ञात था और इन सब पर जहाज ऐसे मजबूत नहीं थे जिन पर भरोसा करके वे भयानक समुद्रमें छोड़ दिये जाये । इन सबके अलावा संबसे बड़ी कमी यह थी कि अपनी जानको जान न समझनेवाले किसी वीरन इस औओर ध्यान नहीं दिया था । समय आया और जेनोबा राज्यमं १४४८ ई० के ठउगभग कोलम्बसका जन्म डुआ। कोई नहीं जानता था कि वह दुनियोँ- की सझाखोंसे अनजान बालक भविष्यके संसारका भला करने बाढा होगा । आज उसकी जम्मभूमिका पता नहीं उसके नचपनके हालोंका पता नहीं । कोलम्बसके घटनाओंका कुछ पता नहीं पर इतना निश्चित है कि उसकी बंशमयांदा प्राचीन और मान्य थी। श्रेष्ठ होने पर भी उसके घराने पर छक्ष्मीदेवीकी विशेष ऋ्पानथी। कि्तु इससे उसकी शिक्षामं उस समयकी प्रथाके अनुसार कोई कमी नहीं पड़ी । जैसे प्ररवकाठमें यहाँकि सब शाख््र संस्क्तमाषामें पढ़ने पड़ते थे और इस समय भँगरेजीमें पढने पड़ते हैं उसी प्रकार उस समय योरपमें सब शास्त्र बहाँकी प्राचीन माषा लैटिनमें सीखने पड़ते थे । कोलम्बसने अभ्यास करके भूमिति भूसुष्टि ज्योतिष और चित्रकारीका विशेष अभ्यास किया था । उसके सबसे प्यारे नॉकानयन-




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