पिताकी सीख स्वास्थ्य और खान पान | Pita Ki Sikh Swasthaya Aur Khan Pan
श्रेणी : आयुर्वेद / Ayurveda
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
156
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about हनुमान प्रसाद गोयल - Hanuman Prasad Goyal
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हमारी खास्थ्य-रथुक सेना १५
(1 सि
श्ति-ये हमारे खनके सफेद कण हैं । हमारे खूनमें
दो श्रकारके अत्यन्त नन्हे-नन्हे जीवाणु पाये जाते हैं--एक
लाल ओर दुमरे सफेद । इनकी दकल पहिंयोंकी तरह
घेरेदार हुआ करती हैं । ये हमारे खूनके जीवित कण हैं और
खूनके साध-साथ सारे थरीरमें चकर लगाया करते हैं ।
इनमेंसे लाल क्णोंका काम शरीरके तमाम अड्लॉको भोजन
ढो-डोकर पहुँचाना है और सफेद कणोंका काम शरीरकी
रक्षा करना हैं । बहुत छोटे दोनेके कारण आँखोंसे ये नहीं
दिखायी देने, किंतु अणुवीक्षण यन्त्रकी सहायतासे हम
इन्हें जय चाहें देख सकते हैं । जिस समय किसी रोगके
कीटाणु हमारे खूनमें पहुँचते हैं तो ये सफेद कण हमारी
रथाके छिये उनसे बढ़ी तत्परताके साथ जा भिड़ते हैं और
फिर झुछ समयतक उन दोनोंमें एक खासी छुच्ती होती रहती है।
यदि हमारे सफेद कण रोगके कीटाणु ओंसे शक्ति और संख्यामें
बलवान हुए तो वे इन्हें तुरंत नष्ट कर डालते हैं या कम-से-कम
इनकी वाढ़कों ही रोक रखते हैं, जिससे हमारे दरीरकों किसी
तरदकी दानि नहीं पहुँचने पाती । वास्तवमें हमें यद्द भी
नहीं माछम होता कि इमारे शरीरमें किसी रोगके कीटाणु ओं-
ने प्रवेश भी किया था या नहीं । किंतु यदि हमारे सफेद
कण इनसे कमजोर पढ़े तो फिर वे खर्य नष्ट होने लगते हैं
और रोगके कीटाणु तेजीके साथ बढ़कर सारे शारीरपर अपना
अधिकार जमा छेते हैं, लिससे दम बीमार पढ़ जाते हैं ।
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