राजपूताने का इतिहास | The History Of Rajputana

The History Of Rajputana by रायबहादुर गोरीशंकर हीराचंद - Raybahadur Gorishankar Heerashankar

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No Information available about महामहोपाध्याय राय बहादुर पंडित गौरीशंकर हीराचन्द्र ओझा - Mahamahopadhyaya Rai Bahadur Pandit Gaurishankar Hirachand Ojha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषय पूछाझू पाघसिंद ००० बढ ब्न्ब ०७ ज्छ राज्यप्रासि कब ७० ००० ७४ बाघर्सिदद का खानवे के युद्ध में मद्दाराणा के साथ रद्दना ७४ बाघर्सिदद का मालवे में जाना शेस्क धर बद्दादुरशाद्द की चित्तौड़ पर पढ़ा इयां न: सर ७६ चित्तीड़ की रक्ता्थ बद्दा दुरशाद से लड़कर बाघलिंदद का मारा ज्ञाना ७८ ' घाघर्सिंद की राशियां श्रौर सेतति *””* कर परे रावत वाघर्सिद का व्यक्तित्व रन श्र प्छे रायसिंद *”* पर *० बाग घर राज्यप्राति ००० ब०० बन घर धाय पन्ना का बनवीर के डर से उद्यलिंह को रायर्सिंद्द के पास ले जाना न घश् थनवीर को चित्तोइ से निकालने के लिए रावत रायसिंद का मद्दाराणा की सद्दायताथे जाना घर रायरसिंद का देद्दान्त झौर उसकी संतति शक घ््प विक्रमर्तिदद ( बीका के कण्च खफर ०० ०७ राज्यप्रात्ति नम ७ न्७्७ ६० सादुड़ी की जागीर छूट ज्ञाने पर विक्रमर्सिद का ः कांठल में ज्ञाना समर शक ६० दाज्ञीखां की सद्दायताथे मद्दाराणा के साथ झंचर सैजसिंद को भेजना दर कर कक ६१ विक्रम्सिद्द का खुद्दागदुरा, खेरोट, कोटड़ी, . नीचोर, दल्लोट श्बौर पलथाना पर झधिकार करना ह्छ र्यातें श्लौर देवी मीणी की स्प्ृति में देवलिया वस्ताने की कथा... ६६ काँधल को घमोतर, खुरताणुर्सिदद को ढोढस्थाकेड़ा और बिजयसिंद को खेरोट की ज्ञाभीर देना...” ६७




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