सूक्तित्रिवेणी | Suktitriveni
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
154
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)२६.
२७.
नद,
९९.
३०.
३१.
३९.
३३.
दे,
उस्सूरतेय्या परदारसेवा,
केरण्पसवो च भनत्थता च ।
पापा च भिता सुकदरियता च,
एते छ ठाना पुरिसं धंसयन्ति ॥
निहीनसेवी नं च बुदसेवी,
निहीयते कालपक्खे व चन्दो,
न दिवा सोप्पसीलेन, रत्तिमुट् ठानदेस्सिना ।
निच्तं मत्तेन सोण्डेन, सक्का भ्रावसितु घर ।
प्रतिंसीतं भ्रतिखण्हं, भ्रतिसायमिदं भ्रहूु।
इति विस्सदट्ठकम्मन्ते, अत्या ग्रच्चेन्ति मावे ॥
योध सीतं च उण्ट् च, तिरा भिय्यो न मञ्ञति।
करं पुरिसकिच्चानि, सो सुखं न विहायति ॥
सम्पुखास्सं बण्णं भासति ।
परम्भूखास्व भवण्णं भासति ।
` उपकारको मित्तो सुहृदो वेदितव्बो,
समानसुखदुक्लो सुहदो वेदितव्वो ।
पण्डितो सीलसंपन्नो, जलं मम्मी व भासति ।
भोगे संहुरमानस्स, भमरस्स इरीयतो ।
भोगा संनिचयं यन्ति, वम्मिकोवुपश्वीयति ।
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