अकबरी दरबार पहला भाग | Akbari Bhag Bhag 1

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ ३ पु बहुत ही समीप झा गया था; इसलिये हुमायूं ने उसे अमस्कोट भें छोड़ा और भीप आगे बढ़कर पुरानी लड़ाई लड़ने लगा । उसी अवस्था से एक दिन सेव ने कर ससाचार दिया कि संग हो, प्रताप का वारा उदित हृजां है । यह॑.तारा देखी विंपत्ति के ससय स्पि्नमिलाया था कि चसकी थीर किसी की बाँखि ही न उठी पर भाग्य अवद्य कहता दोगा कि देखना, यद्दी तारा सूय्य होकर चमकेगा; और ऐसा चमकफेगा कि इसके प्रकाश में सारे तारे शुँधढें दोरर चाँखों से यो मत्त दो जार्येगे । तुर्की में दस्तूर है कि जब कोई एसा मंगल-ससाचार छता है, तन उदे कुक देते है ! यदि कोई साधास्ण कोटि कामला जादमी दोगो, तो उह झपना चोगा ही उतारकरदेदेगा। यदि अमीर दहै, तो अपनी ` सामथ्यं के अजु खार खित, घोड़ा और नगद जो कुछ दो सकेगा; देगा ¦ नौकरो को इनाम इकयम से खुश -करेगा । हुमायूँ के पास जब सखवार यह्‌ सुखमाच।र लाया, तब उसके दिन अच्छे नदीं थे । उसने दा चाए देखा, छ न पाया । पपिर याद कि कस्तूरी का एक नाफाहै। उसे निकालकर तोडा आर थोड़ी थोड़ी कस्तूरी खबको दे दी कि हन खादी न जाय । साग्य ने कहा होगा किं जी छोटा न करना इसके प्रताप का सौरभ सारे खउंब्ार में ' कस्तूरो के सौरभ की भोति प्ेरेगा । इस नवजात शिशु को इंश्वर ने जिस प्रकार इतना बड़ा साम्राज्य और इतना वैभव दिया, उसरी प्रकार इसके जन्म के समय ग्रहों को भी. ऐसे ढंग से रखां कि जिसे.देखकर अब तक बड़े बड़े ज्योतिषी चकिद होते हैं। हुमार्यूँ स्वयं ज्योतिष शास्त्र का झच्छा. ज्ञाता था । वह प्रायः डसकी जन्सझंडली देखा करता था शओौर' कहता थां कि कई बातों दँ इसकी कुंडली अमीर तैमूर को कु'डढी से भी कहीं अच्छी है । . उसके खास सुद्धाहवों कछा कुहना है कि कभी फभी ऐसा होता था कि बह देखते देखते उठ खडा दोता था, कमरे का दश्वाजा बंद कर ठेता था




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