बुद्ध - वाणी भाग - २ | Bhudh Vaani Bhag - 2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
114
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)क
जागतिक चार साधन
(चार स्मृत्युपस्थान)
१. शुद्ध देने के लिए, शोक श्रौ दुः्खने तरे के लिए, दौर्मनस्य
( मानसिक दुःख ) का नाश करने के लिए, सन्मार्ग प्राप्त करने के लिए,
श्रौर निर्वाणपदका साक्नात् करने के लिए. चार स्मृति-उपस्थानोका मार्ग
ही एकमात्र सच्चा मागे है ।
२. चार स्पृति-उपस्थान ये हैं--
(१) श्रयनी देद्का वथा रीतिसे श्रवलोकन करना;
(२) वेदनाका यथार्थं रीतिते श्रवललोकन करना;
(३) चित्ता यथार्थं रीतिसे अवलोकन करना:
(४) मनोदत्तियोंका वथाथ रीतिसे श्रवलोकन करना |
ये चार स्पृतति-उपस्थान श्रथात् जाइतिके श्रेष्ठ साघन हैं |
३. द्रण्यमें इनके नीचे श्रथवा एकातमें पालथी मारकर गदनसे
कमरतक शरीर सीधा रखकर भिल्लु जागरूक रहकर श्वास खींचता है
तर प्रश्वास बाहर निकलता है; उसका आश्वास श्र प्रश्वास दी है
या हृस्व, इसकी उसे पृं स्मृति होती दै, जाग्रतिपूवेक वह॒ शअपने अत्येक
ग्रार्वास-पश्वासका श्रभ्यास करता ई ।
जिस प्रकार वह श्राश्वास श्रौर प्रश्वाखकौ सम्यक् रीतिसे जानता ईै,
उसी प्रकार वहं श्रपनी देहका थथा्थरीतिसे श्रवलोकन करता ई ।
४. चलते समय वह यह स्मरण रखता है कि मि चल रहा हूं:
खडा होता है तो मे खड़ा होता हू' यद स्मरण रखता है: ज्र त्रेठा होता
* इंद्रिय और विपयके एकसाथ मिलने के वाद जो दुःख-सुंख
झादि अनुभव होता है ।
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