विवेक मार्तराड | Vivek Martrad
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.81 MB
कुल पष्ठ :
318
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)वी अोमू |
सिमः सिद्ध मय |
श्री वीतरीनिथि नखः
श्री दिगम्पर जैंनाचरक्... पप, .दूज्यनर ८ ८
श्री द्रयसागरजी महाराज द्वारा विर्चित--
विवेक मार्तराड
मडलाचररप
निराकृताशेषकल डू पड़ी
निश्शेषवित्सत्व हितोपदेष्ट!
सुरन्द्रनागेन्द्रनरेंस्ट्रवन्य:
थी वद्धमानों दिशतु श्रियं न!
अर्थ--१००६८ श्री बदमान भगवान् ने अपने
श्रात्सा से समस्त कमरूपी कल अर्थात् दब्य
कर्म ज्ञानावरण श्रादि तथा भाव कर्म रागद्दष
चाद़ि सेल कीचड़ को घो डाला है शोर जो समस्त
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