कल्याणमन्दिर स्तोत्र | Kalyanmandir Stotra

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Kalyanmandir Stotra by पं.कमलकुमार जैन - Pt. Kamalkumar Jain

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about पं.कमलकुमार जैन - Pt. Kamalkumar Jain

Add Infomation About. Pt. Kamalkumar Jain

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
अपनी बात-- पुस्तक लिखने के पत्र लेखक को अपनी ओर से कुछ लिंखना ही चाहिये। इस परम्परा के नाते में निम्न पंक्तियाँ अपने प्रिय पाठकों के सम्मुख नहीं रख रहा हूँ; न ही स्तोत्र की स्वयं सिद्ध सवंगरषठना का दिग्दशेन कराने की मेरी श्रभि~ लाषा अथवा साहस है | यहां तो केवल अपनी उस अक्षमता को प्रकट करना है; जो संभवतः किन्हीं सक्षम एवं कुशल हाथों की ही वाट जोहता २ निराश सा दो रहा था। आशा है, इसलिये आप प्रस्तुत पुस्तक में रह जाने वाली त्रेटियों एवं अभाव की ओर लक्ष्य करने के पूरे उन अनेक कठिनाइयों ओर बाधाओं की ओर अपना विशाल दृष्टिकोश अ्रपनायेंगे जिनके कारण “भक्तामर स्तोत्र” से भी श्रेष्ठतर यह “कल्याण- मन्दिर स्तोत्र' जो कि बस्तुतः कल्याण काही मन्दिर है, श्रपने उस सवोङ्ग सम्प स्वरूप में अमी तक जनशा के सामने नहीं आ सका और यही कारण है कि अपने ख्याति एवं लोकप्रियता के क्षेत्र में वह 'गुदड़ी का लाल' हो बना रहा । श्राद्योपान्त इस मङ्खलमय स्तोत्र का रसपान करके पाठऋ स्वीकार करेंगे छि इसमें वह भावपण भक्ति है जो कि आनन्द का एक अविरल निंर वहा सकने की शक्ति रखती है । देविक अतिशय एबं फलतप्राप्ति की अपेक्षा से भी प्रस्तुत स्तोत्र अन्य प्रसिद्ध प्रचलित जैनस्तोत्रों की तुक्षना में कितना अधिक चमत्कार पणं है, इसको इतिहास की वह घटना हीं स्पष्ट कर देती है कि जिसके द्वारा इस स्तोत्र के सम्माननीय' रचयिता श्री कुमुदचन्द्राचाये जी ने ऑकारेश्वर के शिवलिङ्ग से श्री १००८ श्री पाश्वन्राथ जी का सौम्य प्रतिबिश्ब अपार




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now