विवेक मार्तराड | Vivek Martrad

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Vivek Martrad by पं.कमलकुमार जैन - Pt. Kamalkumar Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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वी अोमू | सिमः सिद्ध मय | श्री वीतरीनिथि नखः श्री दिगम्पर जैंनाचरक्... पप, .दूज्यनर ८ ८ श्री द्रयसागरजी महाराज द्वारा विर्चित-- विवेक मार्तराड मडलाचररप निराकृताशेषकल डू पड़ी निश्शेषवित्सत्व हितोपदेष्ट! सुरन्द्रनागेन्द्रनरेंस्ट्रवन्य: थी वद्धमानों दिशतु श्रियं न! अर्थ--१००६८ श्री बदमान भगवान्‌ ने अपने श्रात्सा से समस्त कमरूपी कल अर्थात्‌ दब्य कर्म ज्ञानावरण श्रादि तथा भाव कर्म रागद्दष चाद़ि सेल कीचड़ को घो डाला है शोर जो समस्त




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