वेद - विज्ञान | Ved Vigyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.07 MB
कुल पष्ठ :
208
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about कर्पूर चन्द्र कुलिश - Karpoor Chandra Kulish
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)वेद ही शिक्षा नीति का झ्राधार हो हे फो तैयार नही हैं उनके भाग्य पर दया करना हो उचित है। वे चाहे तो हीबू भी पढ़ सकते है । राष्ट्रमाधा का सवाल श्रग्रेजी के पक्ष में जो लोग यह तक देते है कि भ्रग्रेजी में विज्ञान विषय की पुस्तक है श्रौर वह श्न्तर्राप्ट्रीय भाषा है अत उसका देश में प्रचलित रहना अनिवाय है । जहां तक भाषा सीखने का प्रदन है कोई भी भापष। हो उसे सीखना श्र प्ठ काय है परन्तु यह कहना कि श्रग्न जी विज्ञान का माध्यम है ससार को अ्रन्य भाषाओं का श्रपमान है । यदि श्र तर्राष्ट्रीय भाषा के नाम पर ही श्रग्रजी का व्यवहार श्रनिवाय माना जाता होता तो सयुक्त राष्ट्रपघ से वडा अन्तर्राष्ट्रीय मच कहा हे यदि यह कहा जाता कि भ्रग्रेजी व्यवसाय की भाषा है तो भी बात समभ मे श्रा ज ती । हमारा व्यवसायी वग एक सीमा तर्क झग्रे जी मे कारोवार करता है । व्यवसाय में शासन तन शिक्षण तत्र इत्यादि को भी शामिल किया जा सकता है । ये सब व्यवसाय के ही रुप में वर्णित है । व्यवसाय का स्थान भी कालान्तर में स्वदेशी भापाय ले सकती है श्रव मैं विज्ञात की बात पर फिर झाना चाहूगा । जो लोग श्रग्रेजी को विज्ञान का माध्यम मानते है उन्हे शीघ्ातिशीघ्र श्रपता आम दुर कर देना चाहिये । भ्रग्रे जी ही नहीं झपितु परिचिम मे जिस किसी भाषा मे भी भौतिक विज्ञान का उदय हुभ्रा है उसे विज्ञान कहना विज्ञान शब्द का दुरुपयोग कहा जायेगा । विज्ञान के नाम पर ये लोग श्रज्ञान का प्रसार कर रहे है या व्यवसाय कर रहे है । ये वही लोग हैं जा कल तक घरती को सपाट या चपटी मानते रहे है । बेचारे गैलीलियो को झटकल अनुसवान लगाते लगाते यह जानकारी हाथ ग्राई कि धरती गोल है। उस वेचारे ने इस वात को प्रकट कर दी । चूकि वाइवल मे घरती को संपाट लिखा था गैलीलियो को जेल में रहना पडा । एक श्रसें के वाद इन लोगो ने मानना शुरू किया कि घरती गोल है । श्रव वह यह मानते है कि घरती घूमती है परन्तु सुय स्थिर है यह भी गलीलियो की देन है । सुय के श्रागे भो कुछ है वे अब कुछ इछ मानने लगे है। श्राज भी परिचम के वैज्ञानिक मानते है कि सुय से ताप उत्पन्न होता है । भ्राम घारणा भी यही है परन्तु बहू वेज्ञानिक नही है । झनेक भ्रान्तियों को पाले हुए वे लोग विज्ञान के नाम पर प्रयोग पर प्रयोग करते जा रहे है । इस दौर में एक श्रोर नल
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