इतिहास और आलोचना | Itihaas Aur Aalochana
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
173
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्विहास भोर आती चर्ना
द्वारा प्रत्यक्ष कर सके |? इसके थाद विस्तार और गहराई का प्रश्न उठाते हुए
शुक्र जी फिर कहते हैं कि गोस्वामी जी की भावात्मक सत्ता का अधिक विस्तार
स्वीकार करते हुए भी यह पूछा जा सकता है कि क्या उनके भावों में पूरी
गहराई या तीव्रता भी है ! यदि तीव्रता न होती, भावों का पूर्ण उद्र क उनके
बचनों में न होता,।तो वे इतने सर्वप्रिय केसे होते !” इससे गहराई और
का सम्बन्ध स्पष्ट होता है ।
साहित्यकार की गहराई इस बात में है कि वह सतह को तोड़ता है और
इस तरह वह त्रमों को हटाकर वास्तविकता का सही रूप उद्धायित करता है |
उद्धाटन-कायं ही साहिस्यकार का रचना-कार्य है--उास्तविकता का निर्माण वह
उद्धाटन से ही करता है ; भोतिक कारीगरों के तरह वह सचमुच कोई चीज
नहां बनाता | इसीलिए सात्र लेखक के पेशे को गोर् कायः कहता है | उसके
अनुसार 'लेखक वह आदमी है जिसने गौण कायं करने एक निश्चित तरीका
चुन रखा है जिसे हम उद्धाटन-के-द्वारा कार्य कह सकते हैं |! भाषा जो कि
लेखक का सबसे बड़ा साधन है, जिह्वा का गौण ही का। है ।
सवाल यह है कि लेखक क्या उद्धाटित करता है ! स.से पहले वह अपना
हृदय उद्धाटित करता है ? लेकिन हृदय के माध्यम से क्या उद्धायित होता है ?
कुछ साहित्यकार ऐसे हैं जो अपने मन का गठि खोलते हैं, मन की एक-एक
पत॑ खोलकर रख देते हैं। चेतन की सतह के नीचे अववेतन में पड़ी हुई बहुत
सी बातों को खोलना ही उनके लिए सबसे बड़ा उद्धांट्न कार्य है। इस तरह
के साहित्यकारों ने अब तक अधिकांशत सेक्स ओर अहं संबंधी रहस्य का ही
उद्धाय्न किया है | साहित्य में गहराई का यह भी एक रूप है ।
दूसरी ओर ऐसे भी लेखक हैं जो अपने मन के माध्यम से उस मन के
साथ जुड़े हुए. सैकड़ों दूसरे मनों का उद्धाटन करते हैं , इस तरह वे अपने मन
के इन्द्र का उद्धाय्न करते करते उस युग के पूरे समाज के संघर्ष को खोल कर
रख देते हैं। ताल्उताय ने युद्ध ओर शान्ति? म॑ पियरे के माध्यम से अपने
मन में जीवन ओर मृत्यु को लेकर चलने वाले संघ का उद्धाटन करते करते
सारे रूस के विभिन्न वर्गों में विभिन्न स्तरों पर चलने समस्त संत्रषों' को खोल
कर रख दिया। जैसा कि सभी लोग जानते हैं, संसार की हर एक बात ओर
सत्र बातों से संत्रद्ध है।! इसलिए यदि एक तथ्य का उद्घाटन किया जाय तो
उसके साथ जुड़े हुए सेकड़ों तथ्य उघड़ते चले लार्यैणे । जेवा कि श्रकत्र
इलाहावादी ने कडा है,
१९.
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