महिम भट्ट | Mahimabhatt

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Mahimabhatt by डॉ० ब्रज मोहन - Dr. Brajmohan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सामग्री का इसमें समुचित उपयोग किया गया है। यृक्तियो एवं तकों से महिममट्ट केपक्ष का सहानुभूतिपूर्दक विवेचन इस ग्रन्थ वी अपनी विशेषता है जिसका निर्वाह ग्रन्पक्षार ने बड़ी कुझबता एवं विद्धता के साध बाद्योपान्ठ किया है। प्रन्यमें प्रयुक्त भाषा एव लौ ग्रन्यकर्त्ता वी म्मंग्राहिणी प्रतिमा के परिवायक हैं जो प्रतिपाध दिपय का सवथा अनुगमन करती हँ । फलतः विपयके बोधम कटी भो व्याघात नही होता । गहन शास्त्रौय विपय বা विवेचन होने पर भो प्रतिपादन की प्रणाली ग्रन्थ को पढ़ने की रुचि पैदा करती है जो शुप्क शास्त्रोय-सिद्धान्त के विवेचक ग्रन्थों मे प्रायः नहो मिलती । मुझे आशा ही नहीं, पूर्ण विइवास है कि इस ग्रन्थ से साहित्य के क्षेत्र मे डॉ० चतुर्वेदी के वेदुप्य की प्रतिप्ठा होगी तमाः साहित्य- शास्त्र के छात्रो, अध्यापकों एव शोघ-कर्ताओं के लिए यह ग्रन्य अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगा। ऐसे प्रामाणिक प्रन्य वो रचना के लिए मैं ग्रन्थकार को आशीर्वाद देता हू ओर आश्या रखता हू कि वे अध्रान उत्माह से बनुसन्धान-कार्य में लगे रहेंगे तया उपयोगी प्रामाणिक ग्रन्थों वा प्रणयन करते रहेगे। तयास्तु । सचालक, अनु सन्धान सस्थान --वलदेव उपाध्याय संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी ज्येप्ठ पृणिमा, सं० २०२५




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