दैनिक जीवन में रसायन विज्ञान | Dainik Jeevan Men Rasayan Vigyan

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Dainik Jeevan Men Rasayan Vigyan by गोपीनाथ श्रीवास्तव - Gopinath Shrivastav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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व्यस्त रहे। उनका दृढ़ मत था कि कुछ परिस्थितियों में एक धातु दूसरी धातु मे बदली जा सकती है क्योकि उनका तर्क था कि जब सोना चॉदी के साथ गलाया जाता है तो सोने का पीला रग जाता रहता है । वे समझते थे कि इस क्रिया से सोना चॉदी में वदल गया है। कीमिया का जन्म वस्तुत कास्य युग मे मिस्र और मेसोपीटैमिया में हुआ था । ईसा से पूव॑ तीसरी शताब्दी में ग्रीस मे कीमिया का प्रसार हुआ । वहाँ से इसका प्रसार अरब भारत और चीन मे हुआ । उदाहरणा्थ आठवी और नवी शताब्दी में अरव के कीमियागर जवीर-इब्न-हया और अलरजी ने यह सिद्धान्त प्रतिपादित किया था कि सभी धातुएँ पारा और गन्धर्क से बनी होती ह । तत्पदचात्‌ कीमिया का प्रसार अरवी लेखो के लेटिन मे अनुवाद द्वारा योरुप में हुआ 1 सामान्य वातु से सोना बनाने के अपने प्रयास मे कीमियागरो ने एक भभका बनाया और उसमे फिटकरी कसीस ग्रीन विटरल ओर शोरा शाट्ट पीटर रख- कर जलते हुए कोयले पर गम किया । एक गैस निकली और फिर एक रगहीन दृश्य की कुछ बूँदे लुढकी जिससे रसायन विज्ञान का श्रमिक विकास 17




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