परिवार | Pariwar

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Pariwar by यज्ञदत्त शर्मा - Yagyadat Shrma

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about यज्ञदत्त शर्मा - Yagyadat Sharma

Add Infomation AboutYagyadat Sharma

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
छः यह तो हुई प्रेमचन्द्र के बाद वाले लेखकों की बात, लेविन खुद प्रेसचन्द पर जब ये . श्रालोचक प्रवर लिखते हैं तो उन्हें भी नहीं छोड़ते, यह बात दूसरी है कि प्रेमचन्द पर सौधा श्राक्रमण करने का साहस ল होने पर वे श्रगल-बगल से दोलत्तियां ऋइत हं । परिवार भौ एक भ्रौचलिक उपन्यास है । लेकिन इस उपन्धास का लेखक, एक क्षण के लिए भी, अपने गाँव के निवासियों को जानवर नहीं सप्भता, न ही इस गाँव का मैला श्रांचल के रूप में चिज्सा करता है। उसकी समक और उसकी दुष्टि उप्त रोमाण्टिक युवक की दृष्टि नहीं है जो शहरी जीवन से उकता कर मेला आाँचल के जानवर- निवासियों को आ्रादभी बनाना चाहता है। नहीं, वह उन्हें जानवर नहीं समभता, उनमें भ्रमाध विद्वास रखता है, पिछड़ा हुआ नहीं बल्कि उन्हें अपने से भी बड़ा और सहाक्त मानकर उन्हे प्रणाम कन्ताहै। प्रस्तुत उपन्यास आदसखोरी उपस्यासों की परम्परा विहीन शोर छिन्त-ताल परम्परा से सर्वथा भिन्‍त है। इसका केतजास जीवन की भति व्यापक, गहन श्रौर जटिल है । इसके प्च भौ उन बाना शरीरी पात्रों से भिन्‍न हैं जो श्रपने रक्त को--प्रगर रक्त नाम की चीज्ञ उनके वारीर में है तो--गरमाने के लिए हर नारी को श्रंगीठी समभ उसकी ग्रोर लपकते श्रौर उसकी गोद में पहुँच कर स्वास्थ्य-लाभ करते हैं । इस उपन्यास के सभी पात्र--भले भी श्रौर बुरे भी--सबल शोर सरक्त हें श्रौर, कदम-कदम पर, उस समथ भी जबक्रिवे गिरी हुई अ्रवस्था में होते हैं, उनकी यह शक्ति श्लौर सबलता छिपाए नहीं छिपती । ये उन पात्रों से स्बथा भिन्‍न हैं, जिन्हें रवि बाबू के ही হাতছানি, धुम हुए अगारे (अथवा गर्म राख?) कहा जा सकता है और जिनके सहारे, ““घर-बार का काम-काज चलाना तो दूर, एक उपन्यास तक की रचना नहीं की जा सकती 1? यह कुछ गि्े-चुने पात्रों, साड़ी-जम्पर उतार लेखकों की भाषा में कुछ नर भ्रौर मादाओं? की नहीं, एक भरे-पूरे भौर सुसम्बद्ध परिवार




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now