हमारी राजनैतिक समस्याएँ | Hamaarii Raajnaitik Samasyaayein
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
35 MB
कुल पष्ठ :
291
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विषय-प्रवेश ७
लेकर अथवा प्रजातंत्र के बहुसंख्यक शासन की आड़ में हम अपने यहां के अल्प-
संख्यक दलों को कुचल दे । इस सम्बन्ध में तीन बातों पर हमें दृष्टि रखना है |
पहिली बात तो यह है कि आन््तर्भारतीय प्रश्नों के समाधान में हमें वही नीति बर-
तना है, जिसकी दम अपने राष्ट्र के लिए किसी अनन््तरोष्ट्रीय-संघ से अपेक्षा करते
हैं । राष्ट्र के लिए आज़ादी का ध्येय सामने रखते हुए. हम अपने देश के किसी
संगठित अंग को भी उतनी ही आज़ादी का उपभोग करने से रोक नहीं सकते |
सच तो यह है कि आज विश्व में जहां एक ओर राष्ट्रीय सावंभीमता को अन्तर्रा-
प्टीय संगठन में मिला देने का प्रयत्न चल रहा है, दूसरी ओर राष्ट्र के भीतर के
सांस्कृतिक विभिन्नता रखने वाले सभी संगठित वर्गों की अधिक से अधिक
श्रांतरिके स्वशासन दिये जाने की प्रवृत्ति भी ज्ञोर पकड़ रही है । दूसरी बात यह है
कि ग्रजातंत्र का सच्चा अथ यह कभी नहीं होता कि बहुसंख्यक वग अल्पसंख्यक
वर्ग या वर्गों को, अपनी संख्या के बल से, सदा के लिए दबाये रखे | प्रजातन्त्र
' का अर्थ, अब्राहम लिंकन के शब्दों मे, जनता का शासन, जनता द्वारा शासन
आर जनता के लिए शासन है | अब्राहम लिंकन ने बहुसंख्यक वर्ग के शासन की
बात नहीं कही । किसी एक वर्ग या दूसरे दर्ग पर शासन चाहे किसी नाम से
पुकारा जा सके, प्रजातन्त्रशासन नहीं कहला सकता । प्रजावन्त्र-शासन तो समस्त
प्रजा द्वारा समस्त प्रजा का ऐसा शासन है जिसमें प्रजा के हितों को दृष्टि भें रखा
गया हो । तीसरी बात, जो हमें ध्यान में रखना है, यह है कि मुसलमानों को
अल्पसंख्यक वर्ग के नाम से पुकारना राजनीति कौ वस्तु-स्थिति का उपहास करना
दै । मुसलमानों की आबादी ६ करोड़ से अधिक है--इंग्लेंड की आबादी से
दूनी श्रौग्कनाडा से € गुनी । उनकी अपनी सभ्यता श्रौर संस्कृति, खान-पान
ओर पहरावा, भाषा ओर आचार-विचार हैं । यदि कुछ व्यावहारिक कठिनाइया
ओर कुश सेद्धान्विक उलभने न होती तो उनके एक राष्ट्र मान लिये जाने में कोई
आपत्ति नहीं हो सकती थी। इतने बड़े समाज की सदा के लिए एक अल्प-
संख्यक वर्ग मे परिणुत कर देना प्रजावन्त्र की भावना का खुला विरोध करना है |
हमारी राजनैतिक समस्या निस्सन्देह एक गम्भीर समस्या है। पाकिस्तान की स्था-
पना असम्भव है, पर यदि हम अपने देश के लिए एक स्थायी वैधानिक योजना
चाहते हैं तो उसमें मुसलमानों को संपूर्ण सांस्कृतिक अधिकार और श्रधिकसे
अधिक आर्िक सुविधाएं देनी होंगी, ओर साथ ही मुस्लिम प्रांतो को पूर्ण- स्व-
शासन और केन्द्रीय शासन में मुसलमानों को एक प्रमुख स्थान देना भी आव-
श्यक होगा ।
पर, वैधानिक योजना उस समय तक सफल नहीं हो सकती जब तक अंग्रेज़ी
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