एकांकी - कला | Akanki Kala
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
31 MB
कुल पष्ठ :
295
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
डॉ रामकुमार वर्मा - Dr. Ramkumar Varma
No Information available about डॉ रामकुमार वर्मा - Dr. Ramkumar Varma
त्रिलोकीनारायण दीक्षित - Trilokinarayan Dikshit
No Information available about त्रिलोकीनारायण दीक्षित - Trilokinarayan Dikshit
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( § 7
में व्यक्तित्व का मोह है इसलिए वह अपने माथे के दाय के
छिपाने के लिए चन्दन लगाये हुए है। लीला की लिपस्टिक चुरा
कर किशोर अपने चित्रों में रंग भर रहा है क्योंकि उसे अपनी
स््रीका लिपस्टिक लगाना पसन्द नहीं है। इस प्रकार के संकेत-
चित्रण से रंगमंच के संचालक को चाद्दे पात्र के चुनाव और वेश-
भूषा के निर्धारित करते में सद्दायता मिल्ल जाय किन्तु इससे
अधिक पात्रों के मनोविज्ञान के श्ाष्ट करने की भावना ই। জী
पुरु्षा के मनोविज्ञान में आन्दे]्नन उप्ृत्थित करने वाले प्रश्न
नाटककार की लेखनी मे अपना उत्तर पा सकते 8 । समाज ओर
परिवार के संधी का रंगमंच पर उपस्थित कर नाटककार
जनता के अपनी वास्तविक स्थिति से परिचित करा सकता है ।
हमारे सामने प्रश्न यह है कि हम जीवन का चित्रण किस
प्रकार करें ! क्या हम जीवन की नग्न परिस्थितियों को कल्ञा से
सुसज्जित कर उपस्थित करें या जीवन के मौलिक एवं विक्ृत
रूप के यथातथ्य घटनाओं से छीन कर रंगमंच पर रख दें ?
रूस के लेखकों नेतो अधिकतर यही किया है कि जीवन को
अपने नग्न स्वाभाविक रूप में जैसे का तैसा रख दिया है ।
मैक्सिम गार्की ने अपने- उपन्यास ओर लाटकों में जीवन को
ही साहित्य और कन्ना मान लिया है । समाज के निम्न स्वरों से
जीबन लेकर उसने अपने साहित्य का निर्माण किया है। नाटकों
में कथा-वस्तु नहीं के बराबर है किन्तु चरित्र अत्यन्त आवेगमय
ओर शतक्तिशाज्नी है । घटनाओं में कोई नाटकीय कौशल्न नहीं
User Reviews
No Reviews | Add Yours...