मुहूर्त चिंतामणि | Muhurt Chintamani

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Muhurt Chintamani by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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शुराशुमपघ्रकर राम हू थ्ू पौपे वदशरा इपे देश शिवा मधी । गोफ़ो चोमयपत्तगारच तिथयः शूत्या वे कीर्तिता उर्जापादतपस्पशुक्रतपसां कृष्ण शरांगाव्ययः ॥ १० ॥ ( घन्वय: ) भादे चन्द्रदरशों नमसि शपलनेत्रे माधवें द्वाद्शी पौषे बेद्शस इगे दशशिव! मार्गेडद्रिनागा मधी गोप्टी च उभयपत्नगा स्तिथयः । (तथा ) उरजापाढ तपस्पशूक्रतपसा सिते शक्रा श्रग्निधिद्चरसा। क्रमात्‌, चुने: शल्याः कीविंत ॥ ६० ॥| झर्व:-भाद्रपदके शुरलपक्त श्रौर रुप्सुपक्ताकी १ व २ तिथियां शून्य हैं श्रावण के दोनों प्तोकी ३व २ शून्य हैं; वैशाखके दोनों पद्ोंकी १२ शून्य है, पौधको दोनीं पन्न की ४ च ५ शल्य हैं, दोनों पक्षोको १० व ११ शल्य हैं, झगइनके दोनों पत्ती की ७ च ८ शून्य हैं, चैत्रके दोनों पद्ोकी £ व ८ शून्य है, कार्तिकक कृष्ण पक्की ५ शल्य है । श्रापाढिके कृप्स पक्की दे शून्य हैं उसी प्रकार फाटगुनके कृष्णुपक्षकी ४ शून्य है ॥ ९० ॥ नक्तत्रसंघंधि दोप-- शक्काः पंच सिते शक्रादयार्निविश्वरसाः कूमात्‌ । तथा निंयं शुभ सापें दादश्यां वेश्वमादिमे ॥ ११॥ अनुराधा द्वितीयायां पंचम्यां पितरयभं तथा । त्यत्ततश्च तृतीयायामेकादशयां च रोहिणी ॥ १२ ॥ स्वातीचित्रे त्रयोदश्यां सप्तम्यां हस्तराक्षसे । नवम्यां कृत्तिकाष्टम्यां पूभा पढचां च रोहिणी ॥ रै३ ॥ ( स्वयः ) तथा द्वादर्यां साएँ श्रादिमे बेश्वं द्वितीयायामजुराधा पब्चम्यां पित्यसं तथा तृती यायां घ्युत्तरा एकादश्या रो हिशी श्रयोद्रश्या रवातीचित्रे सप्तम्यां हस्तराक्तले .नवम्यां कुत्तिका अध्म्यां पूभा पछ्टयां रोहियी एतत्सव शं निद्यमू ॥ ११-१२-१३ ॥ झर्थः-ज्येप्ठके कृप्णुपन्तकी १४, माधके रृप्पुपक्तकी ५, कार्तिक के की १४, श्रापाढके शुक्पक्षकी ७, फाटगुन के शुक्पदाकी 3. ज्येषके शुक्पककों - जी रे श्




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