प्राचीन भारतीय इतिहास का वैदिक युग | Pracheen Bharatiya Itihas Ka Vaidik Yug
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14.1 MB
कुल पष्ठ :
305
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about सत्यकेतु विद्यालंकार - SatyaKetu Vidyalankar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्
खारहु्वां भघ्याय--दैदिक युग की शासन-संस्थाएं
(१)
(२)
(ड)
राज्य में राजा की स्थिति
राजा का वरण, राजकर्तार: राजान: |
सभा घर समिति मत
सभा भर समिति संज्ञक संस्थाशों का स्वरूप भ्ोर उनके
काये ।
उत्तर-वैदिक युग की शासन-संस्थाएँ
विविध प्रकार के राज्यों का पचिकास, राज्याभिषेक की विधि,
उसका प्रयोजन भौर महत्व ।
तेरहुवाँ झध्याव--वेदिक युग का घानिक जीवन
(१) देवता भौर उनकी पूजा
(९)
(द)
(ड)
(श
वैदिक देवता, 'देवताभ्ों की संख्या शोर उनके विभाग, थुस्था-
नीय देवता, अर्न्यारिक्षस्थानीय देवता, पृथिवीस्वानीय देवता,
देवता ।
वैदिक देवताओं का स्वछूप
झाधिभौतिक, भाधिदेविक भौर धाध्यात्मिक भ्रथों में देवठापों
के स्वरूप को प्रतिपादित करने वाला मन्तब्य ।
याज्िक विधिविघान
यज्नों का प्रयोजन, विविष ध्रकार के यज्ञ, गोमेघ, भ्जामेघ
सददश यज्ञों का झभिप्राय, शन:शेष का झ्रास्यान ।
घामिक मन्तव्य झौर झादशे ।
ऋत म्ौर सत्य, भ्रध्यात्म भावना, पुनर्जन्म झोर कमेंफल ।
थिक्षा श्रोर धर्म
चौंदहुबां झध्याय--तत्व चिन्तन श्रौर दर्शनशास्त्र
(९)
(र)
वैदिक युग का तत्त्व-चिन्तन ।
वेदों में श्रघ्यात्म-सम्वन्धी पिद्धान्त, झात्मा कीः झ्मरता, स॒ष्टि
की उतत्ति भ्ौर विद के मुल तत्व, स्वर्ग श्र नरक ।
तत्व चिन्तन की नई लहर ।
उपनिषदों द्वारा प्रतिपादित तत्त्व ज्ञान, भागवत धर्म, वासुदेव
कुष्ण और भगवदुद्शीता 1 थ
« रेडेंए
र्भ्
रेट
२५१
२६०
रद्०
७१
२७८
२८३
२८७
ग्द्७
२६०
User Reviews
No Reviews | Add Yours...