प्राचीन भारतीय इतिहास का वैदिक युग | Pracheen Bharatiya Itihas Ka Vaidik Yug

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श् खारहु्वां भघ्याय--दैदिक युग की शासन-संस्थाएं (१) (२) (ड) राज्य में राजा की स्थिति राजा का वरण, राजकर्तार: राजान: | सभा घर समिति मत सभा भर समिति संज्ञक संस्थाशों का स्वरूप भ्ोर उनके काये । उत्तर-वैदिक युग की शासन-संस्थाएँ विविध प्रकार के राज्यों का पचिकास, राज्याभिषेक की विधि, उसका प्रयोजन भौर महत्व । तेरहुवाँ झध्याव--वेदिक युग का घानिक जीवन (१) देवता भौर उनकी पूजा (९) (द) (ड) (श वैदिक देवता, 'देवताभ्ों की संख्या शोर उनके विभाग, थुस्था- नीय देवता, अर्न्यारिक्षस्थानीय देवता, पृथिवीस्वानीय देवता, देवता । वैदिक देवताओं का स्वछूप झाधिभौतिक, भाधिदेविक भौर धाध्यात्मिक भ्रथों में देवठापों के स्वरूप को प्रतिपादित करने वाला मन्तब्य । याज्िक विधिविघान यज्नों का प्रयोजन, विविष ध्रकार के यज्ञ, गोमेघ, भ्जामेघ सददश यज्ञों का झभिप्राय, शन:शेष का झ्रास्यान । घामिक मन्तव्य झौर झादशे । ऋत म्ौर सत्य, भ्रध्यात्म भावना, पुनर्जन्म झोर कमेंफल । थिक्षा श्रोर धर्म चौंदहुबां झध्याय--तत्व चिन्तन श्रौर दर्शनशास्त्र (९) (र) वैदिक युग का तत्त्व-चिन्तन । वेदों में श्रघ्यात्म-सम्वन्धी पिद्धान्त, झात्मा कीः झ्मरता, स॒ष्टि की उतत्ति भ्ौर विद के मुल तत्व, स्वर्ग श्र नरक । तत्व चिन्तन की नई लहर । उपनिषदों द्वारा प्रतिपादित तत्त्व ज्ञान, भागवत धर्म, वासुदेव कुष्ण और भगवदुद्शीता 1 थ « रेडेंए र्भ् रेट २५१ २६० रद्० ७१ २७८ २८३ २८७ ग्द्७ २६०




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