संगीत तत्वदर्शक भाग - 1 | Sangeet Tatvadarshak Part-1

Sangeet Tatvadarshak Part-1 by विष्णु दिगम्बर - Vishnu Digambar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्१ इस सात स्वरोंर समूदका नाम सप्तक दे. ओर ऐसे सप्तझ प्रायः प्रचार में अर्थात्‌ गाने में या वाद्यादि बजाने में तीनदी आते हैं इससे अधिक यदि देसा जाय तो कोई वाद्य याने पियानों बौगरे सात सप्तक का काम देते है. पंत गला दजारों में या लाखों में इतनी उंची आवाज वदाचिदट्टी देता हो. तीनों सप्तकोंकि नाम भीचे रिखे जाते हैं. मन्द्र, मध्व, और तार. (१) इनके स्थान यद हैं ” एदि मंद्रो गले संध्या सूचि तार इति कमाल ” इृदय में जिन स्वका ज्यादा जोर रुगता दे उनको मद्र सप्तकके स्वर पहले हैं. ( जिसको आम टोग सरजका सप्तकके स्वर कहते हैं. (२३ मध्य बट दे कि गिन स्वरा ज्यादा जोर कंठमें उगता है. (३) तार बह दे छि जिन स्नयंका ज्यादा जोर तादस्था- नें रूगता है. अब दम इन तीनों सप्तररफों छमसे एक जद टिखनेके यास्त सब से जो सुरुम और जासान रीति टै उमफी छिनते हें. सके गाना रिखनेमें फिसी सरहकी तस्ठीफ न होवे और गान जी रीदिसे डिसा जावे. अब वढ स्सिनेडी रीति यद दे,




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