Ved Shikshak  by पं. राजाराम - Pt. Rajaram

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्छे वेद शिक्षक | रमरणीय- ९ यहां सबेत्र प्रकृति का अन्त्य स्वर उदात्त है । सम्बोधन आयुदातत होता है सो उसका आदि स्वर उदात्त जे#। २ जिम के दो दो रूप दिये हैं उन में से दूसरा रूप केवल वेद में आता है लोक में नहीं । छोक में केवल पहला रूप ही आता है। 3 पुंछिड् प्रथमा द्वितीया के द्विनच्वन तृतीया के एक वचन और स्त्रीछिड् प्रथमा के एक बचन के रूप शिवा एक समान हैं । पु० स० एक वचन और स्त्री- नपु० प्रध्द्धि० द्विव० शिवे समान हैं। पु०्प्र -दवि०द्विव० शिवो समान है । तृ० य० पू० ड्विवच० शिवाभ्यास तीनों नजरों में समान ट्द | ० स० द्विव० शिवयो तीनों छिड़ों में समान है । पुं० स्त्री० प्र० द्वि० सं० बहुब० शिवा खसान है । पु० न० च० पे० बहुब० शिवेभ्य समान ट्ढे । द५०बडुच० शिवाणास तीनों छिड्रों में समान ट्ठ | जो रूप समान हैं उनकी विभक्ति का निणय प्रकरण के असुसार हो जाता है । समान रूपों पर ध्यान रहने से प्रकरणालुसार अथे करने में व्यामोद नहीं होगा । ४ सम्बोधन में है तो प्रथसा विभक्ति पर उसके एक वचन के रूप में वहुधा भेद होता है जैसे यहां भी है । द्विवचन बहुबचन में कहीं नहीं होता । हां सम्बो- घन स्वर में आदुदात्त होता है यह भेद द्विवचन बहुबचन में रहेगा यदि नाम स्वयं आद्यदात न हो । यहां ऊपर रेखा उदात्त के अलग दिखलाने के छिये है ।




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