वेद शिक्षक | Ved Shikshak
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज़ :
7.1 MB
कुल पृष्ठ :
82
श्रेणी :
Book Removed Due to DMCA
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटी है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पं राजाराम प्रोफ़ेसर - Pt. Rajaram Profesar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्छे वेद शिक्षक | रमरणीय- ९ यहां सबेत्र प्रकृति का अन्त्य स्वर उदात्त है । सम्बोधन आयुदातत होता है सो उसका आदि स्वर उदात्त जे#। २ जिम के दो दो रूप दिये हैं उन में से दूसरा रूप केवल वेद में आता है लोक में नहीं । छोक में केवल पहला रूप ही आता है। 3 पुंछिड् प्रथमा द्वितीया के द्विनच्वन तृतीया के एक वचन और स्त्रीछिड् प्रथमा के एक बचन के रूप शिवा एक समान हैं । पु० स० एक वचन और स्त्री- नपु० प्रध्द्धि० द्विव० शिवे समान हैं। पु०्प्र -दवि०द्विव० शिवो समान है । तृ० य० पू० ड्विवच० शिवाभ्यास तीनों नजरों में समान ट्द | ० स० द्विव० शिवयो तीनों छिड़ों में समान है । पुं० स्त्री० प्र० द्वि० सं० बहुब० शिवा खसान है । पु० न० च० पे० बहुब० शिवेभ्य समान ट्ढे । द५०बडुच० शिवाणास तीनों छिड्रों में समान ट्ठ | जो रूप समान हैं उनकी विभक्ति का निणय प्रकरण के असुसार हो जाता है । समान रूपों पर ध्यान रहने से प्रकरणालुसार अथे करने में व्यामोद नहीं होगा । ४ सम्बोधन में है तो प्रथसा विभक्ति पर उसके एक वचन के रूप में वहुधा भेद होता है जैसे यहां भी है । द्विवचन बहुबचन में कहीं नहीं होता । हां सम्बो- घन स्वर में आदुदात्त होता है यह भेद द्विवचन बहुबचन में रहेगा यदि नाम स्वयं आद्यदात न हो । यहां ऊपर रेखा उदात्त के अलग दिखलाने के छिये है ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...